निगम कॉलोनी सेल नई प्रायवेट कॉलोनी विकसित करने के साथ रेसिडेंसल और कमर्शियल मल्टी फ्लैटेड यूनिट निर्माण के लिए विकास अनुमति जारी करता है। अनुमति देने से पहले सेल की तकनीकी टीम उन कामों की ड्राइंग-डिजाइन लेती है, जिनको मौके पर करना होता है। यह ड्राइंग-डिजाइन सड़क निर्माण, वॉटर रिचार्जिंग, बिजली, पानी टंकी, सीवर ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी), स्ट्रीट लाइट, ड्रेनेज पाइप लाइन, वॉटर सप्लाय लाइन, बगीचा और स्टॉर्म वॉटर लाइन की रहती है। इन कामों की ड्राइंग-डिजाइन को लेकर तकनीकी टीम की ओके रिपोर्ट आने के बाद ही कॉलोनी सेल निर्माण के हिसाब से धरोहर गिरवी रखकर विकास अनुमति जारी करता है। नई कॉलोनी विकसित होने के साथ मल्टी फ्लैटेड यूनिट का निर्माण होते ही कार्य पूर्णता का सर्टिफिकेट लिया जाता है, ताकि गिरवी रखी गई धरोहर को मुक्त कराया जा सके। सर्टिफिकेट देने के साथ धरोहर तभी मुक्त होते हैं, जब विकास अनुमति लेते समय मौके पर किए जाने वाले कामों की दी गई ड्राइंग-डिजाइन के हिसाब से निर्माण हुआ है या नहीं, इसकी जांच तकनीकी टीम करती है और अगर ड्राइंग-डिजाइन के हिसाब से काम न होने के साथ कोई कमी-बेशी निकलती है, तो न तो सर्टिफिकेट दिया जाता है और न ही धरोहर मुक्त होते हैं।
ड्राइंग-डिजाइन के हिसाब से ही काम होने पर ये दोनों काम होते हैं, वरना नहीं। नई कॉलोनी और मल्टी फ्लैटेड यूनिट को जहां कार्य पूर्णता कॉलोनी सेल देती है, वहीं 10 मंजिल तक ऊंची इमारत को कार्य पूर्णता बिल्डिंग परमिशन शाखा में कार्यरत बिल्डिंग अफसर (बीओ) और इंस्पेक्टर (बीआई) देते हैं। 10 मंजिल से ऊपर हाईराइज कमेटी को हाईराइज कमेटी सर्टिफिकेट देती है। अब यह सर्टिफिकेट तभी मिलेगा, जब कॉलोनाइजर, मल्टी फ्लैटेड यूनिट, 10 मंजिल मल्टी और हाईराइज बिल्डिंग बनाने वाले बिल्डर सीसीटीवी कैमरे लगाएंगे। इस नियम को लागू करने के लिए निगमायुक्त आशीष सिंह प्रस्ताव तैयार करवा रहे हैं। इसे पहले मंजूरी के लिए एमआईसी और फिर निगम परिषद की बैठक में रखा जाएगा। प्रस्ताव पारित होने के बाद जो कॉलोनाइजर और बिल्डर इस नियम का पालन नहीं करेंगे, उन्हें सर्टिफिकेट जारी नहीं किया जाएगा।
…इसलिए लागू कर रहे नया नियम
नई कॉलोनी और ऊंची इमारत में सीसीटीवी कैमरे लगवाने के लिए नया नियम लागू करने की वजह सुरक्षा है। साथ ही कैमरे लगने से अधिकतर इलाके कवर हो जाएंगे। अभी कई नई और पुरानी कॉलोनियों सहित ऊंची इमारत में यह व्यवस्था नहीं है। जहां पर कैमरे लगे हैं, उनमें से अधिकतर जगह बंद मिलते हैं। ऐसे में वारदात करने वाले अपराधियों को पकडऩा मुश्किल हो जाता है।
नई कॉलोनी और ऊंची इमारत में सीसीटीवी कैमरे लगवाने के लिए नया नियम लागू करने की वजह सुरक्षा है। साथ ही कैमरे लगने से अधिकतर इलाके कवर हो जाएंगे। अभी कई नई और पुरानी कॉलोनियों सहित ऊंची इमारत में यह व्यवस्था नहीं है। जहां पर कैमरे लगे हैं, उनमें से अधिकतर जगह बंद मिलते हैं। ऐसे में वारदात करने वाले अपराधियों को पकडऩा मुश्किल हो जाता है।
शहरभर में कैमरे लगाने की योजना फेल
स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत निगम हैदराबाद की तरह पूरे शहर में कैमरे लगवाने जा रही थी। इस प्रोजेक्ट पर करोड़ों रुपए खर्च होंगे। निगम इस स्थिति में नहीं है, इसलिए प्रोजेक्ट फेल मना जा रहा है। हालांकि निगम ने अपनी जेब से पैसा खर्च किए बगैर कैमरे लगवाने की प्लानिंग कॉलोनाइजर और बिल्डर के माध्यम से जरूर कर ली है।
स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत निगम हैदराबाद की तरह पूरे शहर में कैमरे लगवाने जा रही थी। इस प्रोजेक्ट पर करोड़ों रुपए खर्च होंगे। निगम इस स्थिति में नहीं है, इसलिए प्रोजेक्ट फेल मना जा रहा है। हालांकि निगम ने अपनी जेब से पैसा खर्च किए बगैर कैमरे लगवाने की प्लानिंग कॉलोनाइजर और बिल्डर के माध्यम से जरूर कर ली है।
…तभी मिलेगा सर्टिफिकेट
अब कॉलोनी सेल व बिल्डिंग परमिशन शाखा से कार्य पूर्णता सर्टिफिकेट तभी जारी होगा, जब सीसीटीवी कैमरे विकसित कॉलोनी व ऊंची इमारत में लगे होंगे। इसके लिए प्रस्ताव बनाकर जल्द ही मंजूरी के लिए एमआईसी व परिषद की बैठक में रखा जाएगा।
– आशीष सिंह, निगमायुक्त
अब कॉलोनी सेल व बिल्डिंग परमिशन शाखा से कार्य पूर्णता सर्टिफिकेट तभी जारी होगा, जब सीसीटीवी कैमरे विकसित कॉलोनी व ऊंची इमारत में लगे होंगे। इसके लिए प्रस्ताव बनाकर जल्द ही मंजूरी के लिए एमआईसी व परिषद की बैठक में रखा जाएगा।
– आशीष सिंह, निगमायुक्त