कोरोना की पहली लहर के बाद मध्यप्रदेश में 22 विधानसभाओं में उप चुनाव हुए थे। उस दौरान सरकार ने कोरोना काल के बिजली बिल स्थगित करने का आदेश दिया था। बाद में बिजली कंपनी बिल वसूल करने लग गई थी, जिसके बाद सरकार पर दबाव बनने लगा। उस पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कोरोना के संकट काल में आने वाले बिजली बिल माफ करने की घोषणा की। ग्रामीण क्षेत्रों में बड़ी संख्या में ऐसे उपभोक्ता थे, जिनके बिल बकाया थे। उनकी बांछें खिली हुई है, क्योंकि आंकड़ा दस हजार से एक लाख रुपए तक का भी सामने आ रहा है।
सरकार की बड़ी घोषणा को लेकर भाजपा नेता भी सक्रियहो गए हैं। सांवेर में मंत्री तुलसीराम सिलावट ने अपने हाथों से बिजली बिल माफ करने वाले प्रमाण-पत्रों का वितरण किया। वहीं, वरिष्ठ नेता मधु वर्मा ने तो बिजली कंपनी अफसरों को साफ कर किया कि राऊ विधानसभा में आने वाले बिजली केंद्रों के प्रमाण-पत्र बगैर हमारी मौजूदगी के नहीं बंटना चाहिए। इसके चलते रविवार को तिल्लौर, दूधिया और असरावद खुर्द के केंद्रों पर कार्यक्रम हुए, जिसमें वर्मा के साथ किसान मोर्चा प्रदेश मंत्री रवि रावलिया, घनश्याम पाटीदार और धर्मेंद्र वर्मा मौजूद थे। बड़ी बात ये है कि वर्मा जहां भी जा रहे हैं, वे स्थानीय नेताओं को जरूर साथ रख रहे हैं ताकि भविष्य में आवश्यकता होने पर वे भी मैदान पकड़ सकें।
भूल जाती है जनता
भाजपा के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष इंदौर आए थे, तब उन्होंने सरकार की योजनाओं को जनता तक बार-बार ले जाने की बात कही थी। गुरु मंत्र दिया था कि जनता जल्दी भूल जाती है, इसलिए कार्यकर्ताओं को सेतु बनाकर काम करना चाहिए। वह याद रहता है। इसी फॉर्मूले पर राऊ में काम किया जा रहा है क्योंकि यहां पर दो बार जीतू पटवारी कांग्रेस से जीतते आ रहे हैं। कार्यकर्ता की मौजूदगी में कार्यक्रम हो रहे हैं, जिसका सीधा असर दिखाई दे रहा है।
भाजपा के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष इंदौर आए थे, तब उन्होंने सरकार की योजनाओं को जनता तक बार-बार ले जाने की बात कही थी। गुरु मंत्र दिया था कि जनता जल्दी भूल जाती है, इसलिए कार्यकर्ताओं को सेतु बनाकर काम करना चाहिए। वह याद रहता है। इसी फॉर्मूले पर राऊ में काम किया जा रहा है क्योंकि यहां पर दो बार जीतू पटवारी कांग्रेस से जीतते आ रहे हैं। कार्यकर्ता की मौजूदगी में कार्यक्रम हो रहे हैं, जिसका सीधा असर दिखाई दे रहा है।