प्रदेश में लंबे अंतराल के बाद छात्र संघ चुनावों की घोषणा के बाद छात्र संगठन तैयारियों में जुट गए हैं। इस बार चुनावों में प्रत्यक्ष प्रणाली से सिर्फ सीआर (कक्षा प्रतिनिधि) ही चुना जाना है। कॉलेज की समिति के सदस्यों का चुनाव सीआर ही करेंगे। सीआर की दावेदारी के लिए ही विभाग ने ऐसी शर्त रख दी, जिसमें फस्र्ट ईयर के अलावा अन्य कक्षाओं में पढऩे वाले चुनाव की दावेदारी से ही बाहर हो गए।
कॉलेज और यूनिवर्सिटी में छात्रसंघ चुनाव ३० अक्टूबर को होने जा रहे हैं। ज्यादातर कॉलेजों में एबीवीपी और एनएसयूआई के प्रत्याशियों के बीच सीधे मुकाबले के आसार बन रहे हैं। लेकिन, चुनाव के नियमों में दोनों ही छात्र संगठनों को हैरान कर दिया। अब तक तैयारियों का दावा कर रहे छात्र संगठन अब नियम के अनुसार ऐसे प्रत्याशियों की सूची बनाने में जुटे हैं, जिन्हें मैदान में उतारा जा सकें। दरअसल, चुनाव लडऩे वालों के लिए जारी नियम में स्पष्ट है कि सिर्फ वे ही चुनाव लड़ सकते है, जिन्हें पूर्व की किसी परीक्षा में एटीकैटी नहीं है। सेमेस्टर प्रणाली में करीब ७० फीसदी छात्र-छात्राओं को पहले साल ही किसी न किसी विषय में एटीकैटी है। इस लिहाज से यूजी में सेकंड और थर्ड वालों में ज्यादातर चुनाव लडऩे से अपात्र हो गए। इसी तरह पीजी कोर्सेस में भी सेकंड ईयर वालों में से ज्यादातर चुनाव लड़े बगैर ही मैदान से बाहर है। इधर, चुनावों के लिए कॉलेज और यूनिवर्सिटी के सामने शांति व्यवस्था बनाए रखना भी चुनौती हैं।
चुनाव नहीं लड़े तो भी बनेंगे सीआर
हर कक्षा से सीआर को चुना जाना भी अनिवार्य किया है। यदि किसी कक्षा में कोई भी छात्र सीआर बनने के लिए दावेदारी नहीं करता तो उस स्थिति में मेरिट के आधार पर सबसे ज्यादा अंक लाने वाले को सीआर घोषित कर दिया जाएगा। कुछ निजी कॉलेजों में छात्र संगठनों के संपर्क में रहने वाले छात्र भी चुनाव लडऩे के इच्छुक नहीं है। ऐसे कॉलेजों में अपनी सरकार बनाने के लिए संगठन टॉपर्स से संपर्क कर रहे हैं। कोशिश रहेगी कि उन्हें चुनाव तक अपने पक्ष में ही रखा जाएं।
हर कक्षा से सीआर को चुना जाना भी अनिवार्य किया है। यदि किसी कक्षा में कोई भी छात्र सीआर बनने के लिए दावेदारी नहीं करता तो उस स्थिति में मेरिट के आधार पर सबसे ज्यादा अंक लाने वाले को सीआर घोषित कर दिया जाएगा। कुछ निजी कॉलेजों में छात्र संगठनों के संपर्क में रहने वाले छात्र भी चुनाव लडऩे के इच्छुक नहीं है। ऐसे कॉलेजों में अपनी सरकार बनाने के लिए संगठन टॉपर्स से संपर्क कर रहे हैं। कोशिश रहेगी कि उन्हें चुनाव तक अपने पक्ष में ही रखा जाएं।
फस्र्ट ईयर का वोट बनाएगा कॉलेज सरकार एटीकैटी वालों को चुनाव नहीं लडऩे के नियम में दोनों संगठन सबसे ज्यादा ध्यान फस्र्ट ईयर को ही साधने में लगा है। इसी कक्षा में ऐसे छात्र हैं, जिन्हें पूर्व में किसी विषय में एटीकैटी नहीं है। ज्यादातर कॉलेजों में फस्र्ट ईयर के ही सबसे ज्यादा सेक्शन है। हर सेक्शन से एक-एक सीआर चुने जाने के कारण फस्र्ट ईयर के वोट ही कॉलेज के अध्यक्ष सहित अन्य प्रतिनिधी चुनने के लिए निर्णायक साबित होंगे।
यूटीडी, जीएसीसी, होलकर पर जोर
सरकारी कॉलेजों के साथ निजी और अनुदान प्राप्त कॉलेजों में भी छात्रसंघ चुनाव कराए जाएंगे। लेकिन, सबसे ज्यादा ध्यान गवर्नमेंट ऑट्र्स एंड कॉमर्स कॉलेज, होलकर साइंस कॉलेज पर रहेगा। यूनिर्सिटी के सभी विभागों को मिलाकर एक कमेटी बनेगी। इसलिए यूटीडी पर भी छात्र संगठन ताकत झोंकने पर ध्यान दे रहे हैं। न्यू जीडीसी, ओल्ड जीडीसी, गुजराती कॉलेज, इंदौर क्रिश्चियन कॉलेज में भी चुनाव को लेकर गहमा-गहमी शुरू हो गई हैं।
सरकारी कॉलेजों के साथ निजी और अनुदान प्राप्त कॉलेजों में भी छात्रसंघ चुनाव कराए जाएंगे। लेकिन, सबसे ज्यादा ध्यान गवर्नमेंट ऑट्र्स एंड कॉमर्स कॉलेज, होलकर साइंस कॉलेज पर रहेगा। यूनिर्सिटी के सभी विभागों को मिलाकर एक कमेटी बनेगी। इसलिए यूटीडी पर भी छात्र संगठन ताकत झोंकने पर ध्यान दे रहे हैं। न्यू जीडीसी, ओल्ड जीडीसी, गुजराती कॉलेज, इंदौर क्रिश्चियन कॉलेज में भी चुनाव को लेकर गहमा-गहमी शुरू हो गई हैं।
छात्रसंघ चुनाव के लिए शासन के नियम मिल चुके हैं। कॉलेजों को नियमानुसार ही चुनाव प्रक्रिया संपन्न कराना होगी। हमारी कोशिश है, चुनाव प्रक्रिया शांतिपूर्वक पूरी हो जाएं। पुलिस और प्रशासन की मदद भी ली जाएगी।
– एलके त्रिपाठी, छात्र कल्याण संकायाध्यक्ष