स्वच्छता सर्वेक्षण के चलते निगम ने कई एनजीओ को शहर की सफाई व्यवस्था को सुचारू रखने के साथ डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन और प्रबंधन की मॉनिटरिंग का काम सौंप रखा था। सर्वेक्षण निपट गया और निगम से जुड़े एनजीओ के तकरीबन 500 लोग फ्री हो गए। अब इनको राजस्व वसूली में लगाने का फैसला लिया गया है। इनको क्या और कैसे काम करना है? इसकी ट्रेनिंग आज रविंद्र नाट्यगृह में निगम राजस्व विभाग के अफसर देंगे। इस दौरान विभाग के अपर आयुक्त देवेंद्र सिंह और उपायुक्त लता अग्रवाल मौजूद रहेंगी। आयुक्त आशीष सिंह के निर्देश पर एनजीओ से जुड़े 500 सदस्यों को राजस्व वसूली के काम पर लगाने के साथ ट्रेनिंग दी जा रही है। इसमें निगम के सभी 19 जोन पर तैनात सहायक राजस्व अधिकारी (एआरओ) और बिल कलेक्टर भी मौजूद रहेंगे। ट्रेनिंग सुबह 11 बजे से शुरू होगी। संभवत: इसमें आयुक्त सिंह भी शामिल होंगे।
राजस्व विभाग के अफसरों के अनुसार एनजीओ से जुड़े लोगों को ट्रेनिंग के दौरान बताया जाएगा कि उन्हें क्या काम करना है? जोनवाइज इन 500 लोगों को बांटकर बकायादारों की सूची थमा दी जाएगी, जो कि अपने-अपने क्षेत्र में संपत्तिकर, जलकर और कचरा कलेक्शन शुल्क जमा करने के लिए लोगों के घर-घर जाकर तगादा करेंगे। टैक्स की राशि और रसीद काटने का अधिकार इनको नहीं रहेगा। कारण एनजीओ का प्रायवेट संस्था होना और वसूली कर राशि लेने के बाद भागने का डर अलग। इसलिए निगम राजस्व विभाग एनजीओ के लोगों को पैसा लेने का अधिकार नहीं देगा, क्योंकि जीआईएस सर्वे करने वाली कंपनी के कर्मचारी लोगों से टैक्स का पैसा लेकर निगम में जमा न करने की धोखाधड़ी कर चुके है।
निगमकर्मी बनाने की तैयारी
एनजीओ से जुड़े लोगों को राजस्व वसूली में लगाने के पीछे बड़ी प्लानिंग बताई जा रही है। निगम गलियारों में चर्चा है कि स्वच्छता सर्वेक्षण निपटने के बाद फ्री हुए इन 500 लोगों को निगमकर्मी बनाने की तैयारी है। अभी इनको राजस्व वसूली से जुड़े काम में लगाया जाएगा और फिर बाद में निगम में मस्टरकर्मी के रूप में नियुक्ति दे दी जाएगी। जो काम अच्छे से करेगा, उसे ही नियुक्ति मिलेगी और लापरवाही करने वालों को
बाहर किया जाएगा।
एनजीओ से जुड़े लोगों को राजस्व वसूली में लगाने के पीछे बड़ी प्लानिंग बताई जा रही है। निगम गलियारों में चर्चा है कि स्वच्छता सर्वेक्षण निपटने के बाद फ्री हुए इन 500 लोगों को निगमकर्मी बनाने की तैयारी है। अभी इनको राजस्व वसूली से जुड़े काम में लगाया जाएगा और फिर बाद में निगम में मस्टरकर्मी के रूप में नियुक्ति दे दी जाएगी। जो काम अच्छे से करेगा, उसे ही नियुक्ति मिलेगी और लापरवाही करने वालों को
बाहर किया जाएगा।