scriptमूक-बधिर आईटीआई टॉपर का टूटने लगा हौसला, नहीं मिल रही सरकार से मदद | NO HELP FOR Deaf i t i topper | Patrika News

मूक-बधिर आईटीआई टॉपर का टूटने लगा हौसला, नहीं मिल रही सरकार से मदद

locationइंदौरPublished: Nov 14, 2017 06:33:58 pm

Submitted by:

amit mandloi

आईटीआई में टॉप किया, सरकार से लैपटॉप भी हासिल किया, अब आगे की पढ़ाई के लिए जूझ रहा

DEAF TOPPER AND GEETA
गीता के लिए अनेक, इस प्रतिभा पर भी साहिबान… दें ध्यान
इंदौर.
पाकिस्तान से लाई गई मूक-बधिर युवती गीता के लिए पूरा शासन-प्रशासन जुटा हुआ है, लेकिन स्थानीय होनहार प्रतिभाएं सरकारी तंत्र की उदासीनता की शिकार हैं। यह कहानी ऐसे ही दिव्यांग छात्र की है। इस मूक-बधिर छात्र ने आईटीआई में टॉप किया, सरकार से लैपटॉप भी हासिल किया, अब आगे की पढ़ाई के लिए जूझ रहा है। इस संघर्षरत छात्र को कहीं से ना कोई मदद नहीं मिल रही है।

निमाड़ का त्रिलोक सिंह चौहान का मूक-बधिर होना, कभी उसके इरादों के आड़े नहीं आया। स्कूल में बेहतर प्रदर्शन के बाद आईटीआई में दाखिला लिया। वहां भी टॉप किया। सरकारी योजना में लैपटॉप तो जीत लिया, आगे की पढ़ाई के लिए इंदौर आ गया। यहां मूक-बधिर कॉलेज से बीकॉम कर रहा है। किसान परिवार का होने के कारण पढ़ाई और रहने का खर्च बमुश्किल निकल रहा है। सरकार की तरफ से सहायता मिली न किसी संस्था ने हाथ बढ़ाया। अब पढ़ाई से ज्यादा उसे खुद के और घर के खर्च की चिंता सताने लगी है, इसलिए नौकरी की तलाश में जुट गया है।

कई दफ्तरों में चक्कर काटे
त्रिलोक ने अपने एक मित्र के जरिए चर्चा की और बताया कि उन्होंने सरकार की तरफ से मदद के लिए कलेक्टोरेट सहित कई दफ्तरों के चक्कर काटे, जहां से दिव्यांगों या मूक-बधिरों को मदद मिल सकती है, लेकिन सरकारी तंत्र और प्रक्रियाओं से पार नहीं पा सके। दो साल से मदद के लिए गुहार कर रहे हैं, लेकिन सहायता नहीं मिल पाई।

कर सकते हैं मदद
अगर आप त्रिलोक की मदद करना चाहते हैं, ताकि उसकी पढ़ाई जारी रह सके और उसकी प्रतिभा को सही मुकाम हासिल हो सके तो उसके मोबाइल नंबर (9753044716) पर संपर्क कर सकते हैं या बैंक खाते में सीधे मदद पहुंचा सकते हैं। बैंक खाता बैंक ऑफ इंडिया में है, जिसका नंबर (९९१९१०११०००९४३२) और आईएफएससी कोड (बीकेआईडी०००९९१९) है। उसकी मदद के कोई संस्था या कोई भी आगे आ सकता है।

खेती थी, मगर डूब में आ गई
पिता मोहन सिंह महेश्वर के धारगांव में किसान हैं। 10 एकड़ के करीब खेती थी। संयुक्त परिवार बड़ा है। त्रिलोक के ही चार भाई और हैं। गांव डूब प्रभावित क्षेत्र में आ गया और खेती से उतना नहीं निकल रहा कि पूरे परिवार का खर्च चल जाए। ऐसे में त्रिलोक की पढ़ाई परिवार पर बोझ बनने लगी। फिर भी उसके पिता होनहार बेटे को समाज में बेहतर मुकाम दिलाने के लिए पढ़ा रहे हैं। घर के खर्च में कटौती की जा रही है।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो