अवैध निर्माण और अतिक्रमण की शिकायत पर जांच कर कार्रवाई करने के लिए नगर निगम बिल्डिंग परमिशन शाखा में कमेटी बनाई गई है। इसमें कई केस कार्रवाई न होने से उलझे गए। कमेटी सदस्यों का कहना है कि कोई शिकायत और केस पेंडिंग नहीं है। शिकायत की जांच कर संबंधित बिल्डिंग अफसर (बीओ) और इंस्पेक्टर (बीआइ) को रिपोर्ट सौंप देते हंै, क्योंकि तोडफ़ोड़ की कार्रवाई उन्हें करना है। कमेटी और बीओ-बीआइ के आमने-सामने होने से कार्रवाई नहीं हो रही और निराकरण न होने से शिकायतों की सूची लंबी होती जा रही है। सीएम हेल्पलाइन पर 275 शिकायतें पेंडिंग हंै।
बीओ-बीआइ झाड़ रहे पल्ला शिकायतों का निराकरण करने की जिम्मेदारी बीओ-बीआइ की है, लेकिन ये ध्यान नहीं देते। हेल्पलाइन पर शिकायतें लेवल-4 और 303 दिन में चली जाती हैं। जनसुनवाई, महापौर हेल्पलाइन और लोक सूचना की शिकायत का निराकरण भी बीओ-बीआइ को करना होता है, लेकिन कार्रवाई की जिम्मेदारी कमेटी पर डाल देते हैं। बीओ-बीआइ की लापरवाही का नतीजा है कि जर्जर और खतरनाक भवनों में अवैध निर्माण हो जाता है और परिणाम एमएस होटल की तरह होता है।
ये हंै जिम्मेदार कमेटी में अवैध निर्माण और अतिक्रमण की शिकायत का निराकरण करने के लिए जिम्मेदार उपायुक्त लोकेंद्र सिंह सोलंकी, कार्यपालन यंत्री ओपी गोयल, उपयंत्री दिनेश शर्मा, आराधना शुक्ल, मनीषा राणा, निकिता पंचरत्न, नियति चौरसिया और परिधि दारगड़ हंै। इन उपयंत्रियों को जोनवार जिम्मेदारी दी गई है।
नोटिस जारी किए अवैध निर्माण और अतिक्रमण की शिकायत मिलने पर जांच कर कार्रवाई की जा रही है। शिकायत सही पाए जाने पर रिमूवल नोटिस जारी किए गए। इसके बाद तोडफ़ोड़ की कार्रवाई संबंधित बीओ-बीआइ को करना है। कमेटी में जितनी शिकायतें आईं, उनकी जांच कर नोटिस जारी किए गए। एक भी शिकायत पेंडिंग नहीं है।
ओपी गोयल, कमेटी मेंबर और कार्यपालन यंत्री
ओपी गोयल, कमेटी मेंबर और कार्यपालन यंत्री