scriptहर तरह का दर्द आर्थराइटिस नहीं होता | Not every kind of pain is arthritis | Patrika News

हर तरह का दर्द आर्थराइटिस नहीं होता

locationइंदौरPublished: Oct 20, 2019 07:27:06 pm

Submitted by:

Kamlesh Pandey

150 तरह के होते हैअर्थराइटिस

हर तरह का दर्द आर्थराइटिस नहीं होता

हर तरह का दर्द आर्थराइटिस नहीं होता


वल्र्ड आर्थराइटिस डे के उपलक्ष्य में अभय प्रशाल में जागरूकता कार्यक्रम

इंदौर.

अर्थराइटिस १५० तरह के होते है। सूजन, थकान और सुबह जकडऩ होना इसके प्रमुख लक्षण है। इसमें जोड़ों में दर्द होता है पर हर तरह का दर्द आर्थराइटिस नहीं होता। आर्थराइटिस से बचने के लिए वजन को नियंत्रण में रखना बहुत जरुरी होता है। यदि आपका वजन ज्यादा है और आपको आर्थराइटिस हो जाता है तो सामान्य वजन वालों को तुलना में मोटे लोगों को जोड़ प्रत्यारोपण की जरुरत जल्दी पड़ती है।
यह जानकारी दी बंगलौर से आए सीनियर कंसल्टेंट रुमेटोलॉजिस्ट डॉ के एम महेन्द्रनाथ ने। रविवार को वे अभय प्रशाल में वल्र्ड आर्थराइटिस डे (गठिया दिवस) के उपलक्ष्य में इम्यूनोलॉजी एंड रुमेटोलॉजी एसोसिएशन (आईआरए) एमपी चैप्टर व इंडियन रुमेटोलॉजी एसोसिएशन के संयुक्त तत्वावधान में हुए जागरुकता कार्यक्रम में जानकारी दे रहे थे। उन्होंने बताया जोड़ों को स्वस्थ रखने में एक्सरसाइज का भी महत्वपूर्ण योगदान होता है। पैदल चलने जैसी सिंपल एक्सरसाइज से भी जोड़ों को सक्रिय रख सकते है। आईआरए के सेक्रेटरी डॉ.आशीष बाडिका ने बताया कि इस निशुल्क प्रोग्राम में बड़ी संख्या में मरीजों ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य लोगों को ऑटो इम्यून डिसीजेस और आर्थराइटिस के बारे में जानकारी देना और जागरूक करना था। प्रेसीडेंट प्रो डॉ वीपी पांडे ने बताया कि लोगों कि जिज्ञासाओं का समाधान करने के लिए देश के सर्वश्रेष्ठ रूमेटोलॉजिस्ट को आमंत्रित किया गया। उन्होंने नई चिकित्सकीय खोजों की जानकारी देने के साथ बीमारियों से जुड़े मिथकों भी दूर किया। प्रोग्राम कोर्डिनेटर डॉ संजय दुबे ने बताया कि संस्था द्वारा समय-समय पर इस प्रकार के जागरूकता अभियान डॉक्टर्स और पेशेंट्स दोनों के लिए करवाए जाते हैं ताकि सही समय पर ऑटो इम्यून डिसीज जैसे लुपस और रूमेटोइड आर्थराइटिस के लक्षणों पहचान कर उचित इलाज किया जा सकें।
दही या आलू खाने से नुकसान नहीं

डॉ.महेंद्रनाथ ने बताया, खानपान को लेकर भी लोगों में काफी मिथ होते हैं जैसे आलू या दही नहीं खाना चाहिए। सिर्फ एक खास तरह के आर्थराइटिस में शरीर का यूरिक एसिड बढ़ जाता है इसलिए डॉक्टर्स टमाटर, गोभी, पालक आदि कम खाने के लिए कहते है। संतुलित आहार और व्यायाम के साथ स्वस्थ जीवन जी सकते हैं। बचपन से विटामिन डी कमी के कारण भी आर्थराइटिस एक बड़ा कारण है। यह हमारा दुर्भाग्य है कि इतनी अच्छी सूर्य की रोशनी होने के बावजूद भी हमारे देश के अधिकांश लोगों में विटामिन डी की कमी है। हम पूरी तरह से कवर्ड होकर धुप में निकलते हैंए दूसरा प्रदुषण के कारण हमें शुद्ध धुप भी नहीं मिल पाती।
बढ़ते मरीजों के लिए पर्याप्त डॉक्टर नहीं

वेल्लोर के देबाशीष डांडा ने बताया 130 करोड़ आबादी वाले देश में 70 लाख लोगों को रूमेटोइड आर्थराइटिस है पर उनके इलाज के लिए पर्याप्त डॉक्टर नहीं है। 20 साल में रूमेटोइड आर्थराइटिस की चिकित्सा के क्षेत्र में क्रांतिकारीपरिवर्तन आए है। पहले जहां मेडिकल स्टूडेंट्स को इसके कारण विकृत हो चुके अंगों वाले मरीजों को दिखाया जाता था वही अब उन्हें अर्ली आर्थराइटिस के केस दिखाकर उन्हें पहचानना सिखाया जाता है। पहले लोग इस बीमारी के बारे में सुनकर ही डिप्रेशन में चले जाते थे पर अब ये स्थिति नहीं है। रूमेटोइड आर्थराइटिस के लिए आजकल बायोलॉजिकल ट्रीटमेंट्स भी उपलब्ध हैए जिसके भी कई प्रकार है पर इसमें मुश्किल यह है कि हमारे देश में 5 प्रतिशत से भी कम लोगों को सरकार या इंश्योरेंस कंपनी से मदद मिलती है बाकि 95 प्रतिशत लोगों को अपने जेब से ही इलाज का खर्च निकलना होता है इसलिए ये इन दवाइयों का उपयोग अभी ज्यादा लोग नहीं कर पाते। हालांकि समय के साथ ये दवाइयां भी इकनोमिक रेंज में आ जाएगी।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो