केस: 3 पिता देने लगे बेटी को २ हजार रुपए प्रतिमाह
२० साल पहले पत्नी से तलाक लेने के बाद पति ने ५० हजार रुपए पत्नी और 30 हजार रुपए बेटी के जीवन यापन के लिए दिए। बेटी बड़ी हुई, उसके खर्च बढ़े, रुपयों की जरूरत लगने लगी तो कोर्ट में मामला पहुंचा। पिता और पैसा देने को तैयार नहीं थे। केस में पिता की तरफ से प्रमोद जोशी और बेटी की तरफ से वंदना शर्मा वकील थीं। वकीलों और जज की समझाइश से दोनों पक्षों में सहमति बनी और सरकारी नौकरी कर रहे पिता ने हर महीने दो हजार रुपए देने का वादा किया। वंदना के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट के नए आदेशों के मुताबिक पत्नी से तलाक के बाद भी यदि बच्चों को आगे पढ़ाई के लिए रुपयों की जरूरत होती है तो पिता को देना अनिवार्य होता है।
२० साल पहले पत्नी से तलाक लेने के बाद पति ने ५० हजार रुपए पत्नी और 30 हजार रुपए बेटी के जीवन यापन के लिए दिए। बेटी बड़ी हुई, उसके खर्च बढ़े, रुपयों की जरूरत लगने लगी तो कोर्ट में मामला पहुंचा। पिता और पैसा देने को तैयार नहीं थे। केस में पिता की तरफ से प्रमोद जोशी और बेटी की तरफ से वंदना शर्मा वकील थीं। वकीलों और जज की समझाइश से दोनों पक्षों में सहमति बनी और सरकारी नौकरी कर रहे पिता ने हर महीने दो हजार रुपए देने का वादा किया। वंदना के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट के नए आदेशों के मुताबिक पत्नी से तलाक के बाद भी यदि बच्चों को आगे पढ़ाई के लिए रुपयों की जरूरत होती है तो पिता को देना अनिवार्य होता है।
फैक्ट फाइल:
– ५० से ६० केस हर दिन पहुंच रहे तलाक के
– 7० से ८० केस भरण-पोषण के
– ४ से ५ केस बच्चों की कस्टडी के
– ५० से ६० केस हर दिन पहुंच रहे तलाक के
– 7० से ८० केस भरण-पोषण के
– ४ से ५ केस बच्चों की कस्टडी के