scriptअब एमवाय अस्पताल में सीधे किसी मरीज को नहीं कर सकेंगे रेफर | Now the patient will not be referred directly to the MY hospital | Patrika News

अब एमवाय अस्पताल में सीधे किसी मरीज को नहीं कर सकेंगे रेफर

locationइंदौरPublished: Dec 08, 2017 09:26:32 am

अस्पताल पर बढ़ते मरीजों के दबाव को कम करने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने लिया निर्णय

my hospital indore

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इंदौर. प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल एमवाय पर से मरीजों का बोझ कम करने की स्वास्थ्य विभाग ने पहल की है। इसके तहत अब किसी भी मरीज को सीधे एमवायएच रेफर नहीं किया जाएगा। गुरुवार को की गई नई व्यवस्था के मुताबिक शहर में ५० हजार की जनसंख्या पर एक स्वास्थ्य केंद्र रहेगा। इस सभी केंद्रों को अलग-अलग रेटिंग दी जाएगी। इनमें आने वाले सभी मरीजों को स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाएंगी। यदि मरीज गंभीर है, तो कार्ड बनाकर ही रेफर करेंगे।
मालूम हो, अस्पताल में मरीजों के बढ़ते दबाव का मुद्दा पत्रिका ने दमदारी से उठाया। इस संबंध में जिम्मेदारों से जवाब तलब करने के साथ ही विशेषज्ञों से बातचीत कर अस्पताल से मरीजों का बोझ कम करने के उपाय भी सुझाए।
इसलिए पड़ी जरूरत
दरअसल, बीते दिनों के कुछ हादसों में अस्पताल प्रशासन का तर्क था कि अस्पताल में जरूरत से ज्यादा मरीजों का दबाव रहता है। मरीजों की तुलना में स्टाफ की कमी के चलते व्यवस्थाएं गड़बड़ाती हैं, जिससे आए दिन दुर्घटनाएं
होती हैं।
नवजात शिशु वार्ड में आग : एमवाय की दूसरी मंजिल स्थित नवजात शिशु गहन
चिकित्सा इकाई वार्ड में २३ नवंबर २०१७ को एसी लाइन की वायरिंग में शॉर्ट सर्किट से आग लग गई। आग लगते ही एससीएनयू के साथ पीआईसीयू, तीन आईसोलेशन वार्ड, तीन वार्ड, डॉक्टर ड्यूटी रूम, नर्सिंग ड्यूटी रूम और स्टोर रूम में धुआं भर गया। अफरा-तफरी के बीच बमुश्किल ४७ बच्चों की जान बचाई गई। भर्ती बच्चों के साथ वहां मौजूद माताओं को भी बाहर निकाला गया। एनआईसीयू में २८ व एससीएनयू वार्ड में १९ बच्चे भर्ती थे। चार दमकलें व एक फायर फाइटर बाइक पहुंची।
20 मिनट में आग पर काबू पाया जा सका
ऑक्सीजन सप्लाय बंद : २२ जून २०१७ को नौ मरीजों की मौत हो गई। ऑक्सीजन की लाइन बंद होने की वजह से ये घटनाक्रम हुआ था। इस घटना के बाद लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने भी अस्पताल से जानकारी मांगी।
ऑक्सीजन की जगह नाइट्रस ऑक्साइड सुंघाई : २८ मई २०१६ को हुए हादसे में दो मासूम बच्चों को ऑक्सीजन के स्थान पर बेहोश करने वाली गैस नाइट्रस ऑक्साइड सुंघा दी गई। बच्चे ऐसे बेहोश हुए कि फिर होश में ही नहीं आ सके।

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