इंदौर

अब सोसायटी तय करेगी राज्य बीमा का भविष्य

राज्य कर्मचारी संगठनों ने जताई नाराजगी, कहा – गठन में कई बातें छिपाई

इंदौरOct 17, 2019 / 04:23 pm

लवीन ओव्हल

अब सोसायटी तय करेगी राज्य बीमा का भविष्य

indore. कर्मचारी राज्य बीमा सेवाएं अब एक समिति के रूप में कार्य करेगा। एक अक्टूबर से इसकी विधिवत शुरुआत भी हो चुकी है। हालांकि इस बदलाव का कितना सकारात्मक असर होगा, इसे लेकर आशंका जताई जा रही है। जानकारों की माने तो इसके पहले भी इस तरह के कई प्रयोगों के बाद व्यवस्थाएं सुधरने के बजाय बिगड़ी ही हैं।
कर्मचारी तबके को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा देने के लिए कर्मचारी राज्य बीमा सेवाओं को अब एक अक्टूबर से सोसायटी में तब्दील कर दिया गया है। इसी से अधिकारियों और कर्मचारियों की प्रतिनियुक्ति पर सोसायटी में सेवाएं देने के संबंध में भ्रम की स्थिति में है, क्योंकि कर्मचारी राज्य बीमा सेवाएं समाप्त हो जाने के बाद सामान्य भविष्य निधि खातों में अंशदान की अदायगी, सेवानिवृत्ति पर पेंशन प्रकरण एवं अन्य प्रकरण स्वीकृति में सक्षम कार्यालय, सामान्य भविष्य निधि से आहरण आदि स्पष्ट नहीं है।

अब तक बनी योजनाएं और उनकी स्थिति

वर्ष 2009-10 में कर्मचारी राज्य बीमा निगम ने निर्णय लिया कि संपूर्ण भारत में कर्मचारी राज्य बीमा सेवाएं का संचालन स्वयं निगम करेगा। इसमें जो राज्य सहमति देगा, उसके कर्मचारियों की सेवाएं निगम में मर्ज की जाएगी। मप्र शासन की सहमति के बाद कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम 1948 में संशोधन भी किया गया। बावजूद किसी भी राज्य के कर्मचारी को मर्ज नहीं किया जा सका।
वर्ष 2011 में निर्णय लिया गया कि पीथमपुर में प्रस्तावित 100 बिस्तर के अस्पताल का निर्णय और संचालन निगम करेगा, जिसकी सहमति शासन ने भी दी। बावजूद फिर से संशोधन किया गया और अस्पताल संचालन का जिम्मा राज्य सरकार को ही सौंप दिया गया।
वर्ष 2007 में निगम ने भारत के प्रत्येक राज्य में एक मॉडल अस्पताल बनाने का निर्णय करके कर्मचारियों की सेवाएं डेपुटेशन पर ली गई। हालांकि अधिग्रहण के चार साल बाद निगम ने कर्मचारियों की सेवाएं मर्ज करने से मन करते हुए लौटा दिया।
निगम ने राज्य स्तरीय कार्यपालिक समिति के गठन का प्रस्ताव पेश किया गया। इस समिति से समस्त अस्पताल, औषधालयों का जिर्णोद्धार, सुदृढ़ीकरण करके आधुनिक उपकरण लगाने के लिए करोड़ों का बजट प्रावधान भ किा गया। बाद में आधा अधूरा पालन ही हो सकता और बजट नहीं मिलने से अस्पतलों का निर्माण एवं आधाुनिकीकरण आज तक नहीं हो सकता है। इसी समिति के कारण अस्पतालों के अधीक्षकों में से कई ने सामान खरीद भी लिया, लेकिन बाद में बजट नहीं मिला।

इन मुद्दों पर है आपत्ति
– कर्मचारी तबके को सोसायटी में जाने के लिए विकल्प की सुविधा नहीं दी गई है।
– सोसायटी गठन का आदेश सोसायटी के नियम एवं उपनियम निर्धारा तथा रजिस्ट्रेशन के पूर्व ही जारी हो गया है।
– कर्मचारी राज्य बीमा सोसायटी का गठन कर्मचारी राज्य बीमा निगम के द्वारा निर्धारित किए गए प्रारूप के अनुसार नहीं है।
संचालन के लिए दो कमेटियां बनाई
राज्य शासन ने राज्य कर्मचारी बीमा अधिनियम 1948 के अंतर्गत मप्र कर्मचारी राज्य बीमा सोसायटी का गठन किया गया है। इस बारे में एक अक्टूबर 2019 को जारी आदेश में इसके लिए 13 सदस्यीय गवर्निंग बॉडी बनाई गई है, जिसके पास नियंत्रण की शक्तियां होगी। इसके संरक्षण श्रम मंत्री, अध्यक्ष प्रमुख सचिव, उपाध्यक्ष प्रमुख सचिव श्रम सहित अन्य संबंधित अधिकारी रहेंगे। इस तरह कार्य संचालन के लिए 9 सदस्यीय कार्यकारी समिति के अध्यक्ष प्रमुख सचिव श्रम सहित अन्य अधिकारी होंगे।

प्रस्तावित एम्पलाइज स्टेट इंश्योरेंस सोसायटी के गठन को लेकर कुछ बिंदुओं पर विचार करना जरूरी है। कई जानकारियां छिपाई गई है।
मुकेश सेन, प्रदेश मंत्री, मप्र राज्य कर्मचारी संघ
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