पहले ऐसा होता था थानों में शिकायतों पर तुरंत कार्रवाई नहीं होती है। अगर राजेंद्र नगर अथवा राऊ की शिकायत हो तो पीडि़त को बड़वाली चौकी स्थित एडिशनल डीसीपी, गांधी नगर में एसीपी के ऑफिस जाना पड़ता है। वहां भी बात न बने तो रीगल तिराहा स्थित डीसीपी जोन 1 के ऑफिस के चक्कर लगाने पड़ते थे।
अब यह व्यवस्था डीसीपी मिश्रा ने अपने जोन के हर थाने में एक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग (वीसी) रूम बनवाया है। यहां लैपटॉप, माइक्रोफोन की व्यवस्था है। वीसी ऐप का लाइसेंस ले लिया है। जल्द ही लोगों को वेब एड्रेस उपलब्ध कराया जाएगा।
ऐसे होती है वीसी- डीसीपी जोन 1 के ऑफिस में शेड्यूल तैयार होता है। पीडि़तों को 15-15 मिनट का समय दिया जाता है। – ऐप्लीकेशन के जरिए डीसीपी के साथ उनकी टीम बैठती है। एसीपी-टीआइ व संंबंधित केस के जांच अधिकारी भी नजर आते हैं।- पीडि़त की समस्या पर जांच अधिकारी से जवाब मांगा जाता है। जांच अधिकारी के जवाब से संतुष्ट हुए तो ठीक अन्यथा एसीपी-टीआइ बात करते हंै।
– डीसीपी ऑन द स्पॉट फैसला सुनाकर कार्रवाई के आदेश देते हैं और केस खत्म। केस स्टडी: जांच अधिकारी ऑन द स्पॉट सस्पेंडडिजिटल जनसुनवाई में धोखाधड़ी का एक मामला आया। पीडि़त ने बताया, डेढ़ साल बाद भी आरोपी गिरफ्तार नहीं हुआ। अब तो वह थाने के सामने दुकान लगा रहा है। जांच अधिकारी सब इंस्पेक्टर से जवाब मांगा तो वे बगले झांकने लगे। डीसीपी ने सब इंस्पेक्टर को तुरंत सस्पेंड करने का आदेश दिया और आरोपी को गिरफ्तार करवाया।
7 दिन में 100 मामले निपटे डिजिटल जनसुनवाई में पीडि़त और जांच अधिकारी द्वारा अपना-अपना पक्ष रखने और मौके पर निराकरण होने से 7 दिन में करीब 100 मामले निपट गए। राजेंद्र नगर थाने में पदस्थ रहे एसआइ डी. चौहान को लापरवाही पर सस्पेंड करने के आदेश हुए, तीन एएसआइ सहित अन्य को हटाया। कई लोगों को अच्छा काम करने पर इनाम भी मिला।
तुरंत निर्णय, समय भी बचता है मामलों के त्वरित निराकरण के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से सुनवाई शुरू की है। आवेदक और अफसरों में सीधा संवाद होने से तुरंत निर्णय होता है। सभी का समय भी बचता है। पीडि़त थाने आकर भी वीसी के जरिए अपनी बात रख सकते हैं। जल्द ही उन्हें वेब एड्रेस दिया जाएगा, जिससे वे कहीं से भी पुलिस से जुड़ सकते हैं।
-आदित्य मिश्रा, डीसीपी जोन-1