सरकार बिजली उत्पादन के अन्य विकल्पों पर गंभीरता से काम कर रही है। सौर और पवन ऊर्जा से विद्युत उत्पादन हो रहा है लेकिन इनकी महंगी लागत, कंडीशनल इनपुट और सीमित आउटपुट के कारण यह अधिक व्यवहारिक नहीं हो पा रहा है।
1400 मेगावाट बिजली बनेगी
प्रदेश के पूर्वी भाग में प्रस्तावित इस योजना के मूर्त रूप लेने के बाद यहां 1400 मेगावाट बिजली की उपलब्धता रहेगी।
200 एकड में लगेंगे दो रियेक्टर
निर्माण के लिए 200 एकड़ भूमि आवंटित हो चुकी है। जहां 700 मेगावाट के दो रियेक्टरों से बिजली बनाई जाएगी। रियेक्टर भी देश में निर्मित किए जाने हैं। केंद्र सरकार योजना के लिए पैसा देगी।
34 हजार करोड़ हुई लागत
2014 में इसके लिए 17 हजार करोड़ रुपए स्वीकृत हुए थे। विशेषज्ञों के अनुसार अब इसकी लागत दोगुनी होकर 34 हजार करोड़ तक जाएगी।
इंदौर को इस तरह मिलेगा फायदा
प्रदेश में सबसे ज्यादा बिजली डिमांड इंदौर में है। औद्योगिक गतिविधि भी ज्यादा है। चुटका में एटॉमिक पावर स्टेशन बन जाने से पूर्व क्षेत्र की बिजली आपूर्ति वहीं से हो जाएगी। ऐसे में पश्चिम क्षेत्र की बिजली यहीं रह जाएगी। इससे यहां निर्बाध बिजली मिलेगी।
ये भी जानें
2000 मेगावाट: श्रीसिंगाजी थर्मल पावर खंडवा से
1400 मेगावाट: इंदिरा सागर और ओंकारेश्वर से
2000 मेगावाट: अन्य गैर परंपरागत स्रोतों से