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गोशाला के नाम पर सरकारी जमीन पर कब्जा

locationइंदौरPublished: Aug 01, 2021 10:28:31 am

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जिस सरकारी जमीन पर आदिवासी वर्षो से रह कर अपने परिवार का पेट पा रहे थे, उस जमीन पर गोशाला के नाम पर कब्जा हो रहा है। इस मामले में पंचायत का भी विरोध है, लेकिन प्रशासनिक अमला आदिवासियों के घरोंदे तोडऩे पर आमदा है।

गोशाला के नाम पर सरकारी जमीन पर कब्जा

गोशाला के नाम पर सरकारी जमीन पर कब्जा

चोरल/डॉ. आंबेडकर नगर(महू).

ताजा मामला महू तहसील के राजपुरा पंचायत का है। यहां राजस्व की करीब २ हेक्टेयर जमीन, जहां वर्षो से रह रहे आदिवासियों की झुग्गी-झाोपडिय़ों को हटाया जा रहा है। क्योंकि यहां पर गोशाला के नाम पर व्यक्ति विशेष को जमीन दी जा रही है। शुक्रवार को तहसीलदार सिमरोल थाना प्रभारी के साथ जेसेबी के साथ आदिवासियों के मकान तोडऩे पहुंचे। लेकिन विरोध के बाद तीन का समय देकर लौट आए।
राजपुरा मुख्य रोड से लगी सर्वे नंबर ४४/२ करीब २ हेक्टेयर पर गोशाला के लिए एक आवेदन कलेक्टर और फिर तहसीलदार कार्यालय से होते हुए पंचायत के पास पहुंचा। लेकिन पंचायत ने तहसीलदार को ग्रामसभा का प्रतिवेदन देने से यह कह कर मना कर दिया है कि इस राजस्व भूमि पर किसी व्यक्ति विशेष को गोशाला के नाम पर दिए जाने पर ग्रामीणों की आपत्ति है। इसके बाद पंचायत के बिना ठहराव प्रस्ताव के ही गोशाला के नाम पर राजस्व जमीन की तार फेंसिंग कर दी गई।
जेसेबी लेकर पहुंचे तहसीलदार

शुक्रवार को सिमरोल नायब तहसीलदार आनंद मालवीय जेसेबी सहित अमले के साथ संबंधित जमीन पर पहुंचे और आदिवासियों के कच्चे मकान और पालतु पशुओं के बाड़े तोडऩे लगे। इस दौरान ग्रामीणों ने जमकर विरोध किया। तहसीलदार तीन दिन का समय देकर लौट गए। पंचायत सचिव आनंद गुप्ता ने बताया पंचायत में तीन बार गोशाला के लिए आवेदन आए थे, लेकिन गांव वालो को आपत्ति थी, इसलिए हमने मंजूरी नहीं दी।
वर्जन

– हमने पास के गांव बेका में गोशाला के लिए जमीन देने को कहा था। उक्त जमीन पर गोशाला के लिए ठहराव प्रस्ताव नहीं दिया। वैसे भी उक्त जमीन पहाड़ी में आती है।
लक्ष्मण मेहरा, सरपंच, राजपुरा
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