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कैदियों का इलाज करें तो पर्ची पर जांच परिणाम भी लिखें

locationइंदौरPublished: Jun 25, 2019 04:26:58 pm

मानवाधिकार आयोग की आपत्ति के बाद जागा स्वास्थ्य विभाग, डॉक्टर्स को दवाई के साथ पर्ची पर फाइंडिंग्स लिखने को कहा

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कैदियों का इलाज करें तो पर्ची पर जांच परिणाम भी लिखें

इंदौर. जेल बंदियों के इलाज की जिम्मेदारी भी स्वास्थ्य विभाग के पास है। विभाग ने जेलों में अपने अस्पताल बना रखे हैं। यहां कैदियों का इलाज किया जाता है। इस दौरान स्वास्थ्य विभाग के डॉक्टर मरीजों की जांच करने के बाद पर्ची पर किसी भी तरह की फाइंडिंग्स (जांच परिणाम) नहीं लिखते थे, सिर्फ पर्ची पर दवाई लिखकर इतिश्री कर लेते थे। ऐसे कई प्रकरण जब मानव अधिकार आयोग के सामने पहुंचे तो आयोग ने आपत्ति ली।
अब स्वास्थ्य संचालनालय ने प्रदेश के सभी सीएमएचओ व सिविल सर्जन को पत्र लिख व्यवस्था सुधारने के निर्देश दिए हैं। जिले के सीएमएचओ व सिविल सर्जन ने इसे तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया है। विभाग ने निर्देश जारी करते हुए कहा है कि बंदियों के उपचार के जो निर्देश हैं, उनका कड़ाई से पालन किया जाए। डॉक्टरों द्वारा बंदी मरीजों की जंाच के बाद उसकी पूरी जानकारी स्वास्थ्य पुस्तिका में दर्ज की जाए। मरीजों का टेम्प्रेचर, पल्स, बीपी, रेस्पिरेशन, जनरल कंडीशन, पलोर, ओडेमा सहित अन्य बीमारियों की जानकारी पर्ची पर लिखें। इसे स्वास्थ्य पुस्तिका में मेंटेन किया जाए। पुस्तिका में दर्ज जानकारी का पुनरावलोकन हर चार माह में किया जाए। कारण है कि इससे डॉक्टरों को बाद में इलाज करने में आसानी होगी। वहीं मरीजों को गंभीर बीमारी होने से रोका जा सकेगा।
संचालनालय ने जेल प्रशासन व राज्य प्रशासन के समन्वय से संचालित मेडिकल कॉलेज के अस्पताल और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में भी बंदी मरीजों के लिए व्यवस्था करने को कहा है। कहा है कि बंदियों की नियमित जांच की जाए। जेलों में आने वाले बंदियों की अनिवार्य रूप से टीबी, एड्स, हैपेटाइटिस बी, ह्रदयाघात, एनीमिया, मधुमेह, टेस्ट व अन्य गंभीर बीमारियों की जांच हर वर्ष की जाए।
दिए हैं निर्देश

संचालनालय से पत्र मिलने के बाद एक बार फिर हमने संबंधित डॉक्टरों को उक्त दिशा निर्देशों से अवगत करवाया है। हम स्वयं इसकी मॉनिटरिंग कर रहे हंैं। बंदियों को नियमित उपचार मिले, इसकी व्यवस्था भी की गई है।
डॉ. प्रवीण जडिय़ा, सीएमएचओ

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