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डॉक्टरों की हड़ताल वाले दिन एमवाय पहुंचे 4 हजार मरीज, इतने दिन और रहेगा सामूहिक अवकाश

locationइंदौरPublished: Jul 18, 2019 04:59:54 pm

24 से 26 को फिर सामूहिक अवकाश

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डॉक्टरों की हड़ताल वाले दिन एमवाय पहुंचे 4 हजार मरीज, इतने दिन और रहेगा सामूहिक अवकाश

इंदौर. एमजीएम मेडिकल कॉलेज, डेंटल कॉलेज के मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन की कल हड़ताल थी। सीनियर डॉक्टरों के हड़ताल पर होने से जूनियर डॉक्टरों को मोर्चा संभालना पड़ा। ओपीडी खुली, लेकिन सीनियर डॉक्टर नहीं आए। जूनियर डॉक्टरों ने इमर्जेंसी और ओपीडी संभाली। अस्पताल अधीक्षक डॉ. पीएस ठाकुर ने बताया कि कल एमवाय अस्पताल की ओपीडी में 3 हजार 816 नए मरीज देखे गए। इसके लिए कुछ मरीज रिचेकअप के लिए आए। यानी लगभग 4 हजार मरीज एमवाय अस्पताल हड़ताल वाले दिन पहुंचे।
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मेडिकल टीसर्च एसोसिएशन के सचिव डॉ. राहुल रोकड़े ने बताया कि प्रदेश सरकार के 55 विभागों में से 54 को सातवां वेतन मान मिल रहा है, लेकिन चिकित्सा शिक्षा विभाग के डॉक्टरों व स्टाफ को यह वेतनमान नहीं दिया जा रहा। देने के लिए हमारे सामने शर्तें रखी जा रही है, जबकि कांग्रेस के वचनपत्र में इसकी बात कही गई थी। हमें कहा जा रहा है कि सातवां वेतनमान चाहिए तो आयुष्मान के अंदर काम करो, प्रायवेट प्रैक्टिस बंद करो और शाम की ओपीडी में बैठो, जबकि मेडिकल कॉलेज में एसे में 8 विभाग हैं जिनके डॉक्टर प्रैक्टिस नहीं करते। आयुष्मान योजना का फायदा भी इनको नहीं मिलता। जब इन्सेंटिव ही नहीं मिलना तो वेतनमान क्यों रोका जा रहा है। इसी के चलते कल हमने सामूहिक अवकाश लिया। अब भी प्रस्ताव पर अमल नहीं होता है तो 24 से 26 जुलाई तक सामूहिक अवकाश पर रहेंगे। इसके 15 दिन बाद प्रदेशभर के डॉक्टर सामूहिक त्यागपत्र दे देंगे।
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डॉ. रोकड़े का कहना है कि हम दो बार मंत्री से इस संबंध मेंं मिल चुके हैं। सभी अधिकारियों को इसके लिए आवेदन, निवेदन कर चुके हैं, लेकिन विभाग के साथ भेदभाव किया जा रहा है। हमने मुख्यमंत्री से भी बात की थी उन्होंने 120 दिन देने का कहा था जो 4जुलाई को पूरे हो गए हैं। पिछले दिनों हमीदिया अस्पताल में भी मुख्यमंत्री कमल नाथ इलाज कराने गए तब हमारे डॉक्टरों ने यह बात उनके सामने रखी थी, लेकिन अब तक इस पर अमल नहीं हो पाया है। हालांकि कल सीनियर डॉक्टरों के नहीं रहने से जूनियर डॉक्टरों को खासी परेशानी हुई, लेकिन अस्पताल के अधीक्षक डॉ. पीएस ठाकुर ने पूरे समय मोर्चा संभाले रखा। ओपीडी से लेकर कैजुअल्टी और वार्ड में भर्ती मरीजों के पास स्वयं जाकर राऊंड लेते रहे।
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