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Indian Railway : एक कदम बदल देगा रेलवे की किस्मत

locationइंदौरPublished: Nov 04, 2019 10:45:47 am

Submitted by:

Sanjay Rajak

Indian Railway : हाल ही में आरएलडीए ने पश्चिम रेलवे जीएम को एक पत्र भेजा है। जिसमें बड़ोदरा, अहमदाबाद, राजकोट, भावनगर, बीटीसी सहित इंदौर रेलवे स्टेशन कॉलोनी की जमीन की मंाग की है। अपने पत्र में आरएलडीए ने जल्द से जल्द इस प्रस्तावित जमीन को रिक्त करने के लिए कहा है। ताकि इस जमीन पर प्रोजेक्ट के लिए प्रक्रिया शुरू की जा सके।जर्जर हो चुके हैं मकान

Indian Railway : एक कदम बदल देगा रेलवे की किस्मत

Indian Railway : एक कदम बदल देगा रेलवे की किस्मत

संजय रजक@ इंदौर. रेलवे अब अपनी उन सम्पत्ति का उपयोग कर आय बढ़़ाने जा रहा है, जो काफी जर्जर हाल में है। दरअसल रेलमंत्री ने कुछ समय पहले कहा था कि रेलवे की जर्जर हो चुकी कॉलोनियों को का पुनर्निर्माण पीपीपी मॉडल पर किया जाएगा, जिससे रेलवे को फायदा होगा। इसके बाद से ही रेल भूमि विकास प्राधिकरण (आरएलडीए) ने देश के तमाम बड़े रेलवे स्टेशनों पर सर्वे कर जमीन की तलाश शुरू कर दी थी। इस सर्वे में पश्चिम रेलवे के इंदौर स्टेशन की रेलवे कॉलोनी को भी शामिल किया गया है। यहां पर 24 हजार 733 वर्गमीटर जमीन उपलब्ध है। फिलहाल यहां पर 125 रेलवे क्वार्टर्स बने हुए हैं, जो काफी जर्जर हो चुके हैं। इसी जमीन पर आरएलडीए कमर्शिलय या फिर रेसीडेंशियल कॉम्प्लेक्स बनाएगी। काम पीपीपी मॉडल पर किया जाएगा।
हाल ही में आरएलडीए ने पश्चिम रेलवे जीएम को एक पत्र भेजा है। जिसमें बड़ोदरा, अहमदाबाद, राजकोट, भावनगर, बीटीसी सहित इंदौर रेलवे स्टेशन कॉलोनी की जमीन की मंाग की है। अपने पत्र में आरएलडीए ने जल्द से जल्द इस प्रस्तावित जमीन को रिक्त करने के लिए कहा है। ताकि इस जमीन पर प्रोजेक्ट के लिए प्रक्रिया शुरू की जा सके।
जर्जर हो चुके हैं मकान
रेलवे की कॉलोनी स्टेशन पर आस-पास तीन हिस्सों में है। पहला हिस्सा जीआरपी थाने से लगा हुआ है, यहां पहले ही काफी मकान तोड़े जा चुके हैं। दूसरा हिस्सा रेलवे अस्पताल और साथ में लगी कॉलोनी का है। तीसरा हिस्सा रेलवे एसपी कार्यालय के पीछे का है। यहां पर रेलवे के १२५ मकान बने हुए हैं। इन्हीं करीब 70 वर्ष पुराने जर्जर मकानों को हटाकर प्रस्तावित साइट क्लियर करने के लिए कहा गया है।
एक वर्ष का लगेगा समय
आरएलडीए द्वारा हाल ही में प्रक्रिया शुरू की गई है। आगामी चार माह में साइट विजिट और फिजिबिलिटी रिपोर्ट तैयार होगी। इसके बाद प्रोजेक्ट को लेकर टेंडर जारी किए जाएंगे और डेपलपर्स से प्रोजेक्ट आइडिया मांगे जाएंगे। इसके बाद मार्केट के अनुसार प्रोजेक्ट शुरू किया जाएगा। कुल मिलाकर प्रोजेक्ट शुरू होने में कम से कम १० माह का समय लगेगा।
रेलवे को होगा फायदा
आरएलडीए के प्रोजेक्ट मैनजर (मुंबई) एनएस श्रीमाली ने बताया कि रेलवे इस प्रोजेक्ट के लिए पीपीपी मॉडल के तहत 99 वर्ष की लीज पर जमीन देने जा रहा है, जबकि अन्य किसी भी सरकारी एजेंसी द्वारा अधिकतम 60 वर्ष के लिए ही लीज दी जाती है। इस प्रोजेक्ट से रेलवे को काफी फायदा होगा।
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