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इंदौर निगम परिषद का आखिरी बजट, जनता पर नहीं डाला कोई आर्थिक बोझ ऐसे करते थे वसूली 1. गिफ्ट कॉर्ड: संबंधित व्यक्ति से 50 से 100 डॉलर का गिफ्ट कार्ड खरीदने के बाद स्क्रैच कर उसका गोपनीय नंबर हासिल करते। यह नंबर वेंडर को बेचते जो कार्ड की कीमत का 60त्न हवाला करता।
2. बिट क्वाइन: अवैध कारोबार में बिट क्वाइन चलता है, जिसका कोई हिसाब नहीं होता। यहां भी 60 प्रतिशत पैसा ही मिलता है।
3. वायर ट्रांसफर: इसमें फर्जी सामान खरीदने के एवज में पैसा ट्रांसफर किया जाता है।
4. बैंक अकाउंट: अमरीकी अकाउंट नंबर से राशि वसूलते थे। अकाउंट नंबर कैसे मिलते, इसकी जांच की जा रही है।
10 लाख अमरीकी लोगों का डाटा
आरोपियों के पास करीब 10 लाख अमरीकियों का डाटा बैस उपलब्ध है। पहले वे वेबसाइट से डाटा मिलने की बात कह रहे थे पर बाद में पता चला वेंडर्स के जरिए नंबर मिले। अमरीका की सोशल सिक्योरिटी एंड एंडमिनिस्ट्रेशन डिपार्टमेंट के नाम से सोशल मीडिया के जरिए टारगेट नंबर पर मैसेज भेजते, जिसमें कहा जाता संबंधित व्यक्ति की ड्रग डिलिंग, मनी लांड्रिंग में लिप्तता सामने आई है। सोशल सिक्योरिटी नंबर बंद हो सकता है। हेल्पलाइन नंबर पर फोन करें। मैसेज में हेल्पलाइन नंबर रहता था। यहां से ठगी की पूरी कहानी बुनते।
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इंदौर महापौर ने पेश किया 5647 करोड़ रुपए का निगम बजट लंबे समय से मिल रही थी शिकायत गिरोह की लंबे समय से शिकायत मिल रही थी। इसके लिए हमने निरीक्षक राशिद अहमद, उप निरीक्षक आमोद राठौर, विनोद राठौर, संजय चौधरी, रीना चौहान, पूजा मूवेल, अम्बाराम, प्रधान आरक्षक प्रभाकर महाजन, आरक्षक राकेश, रमेश, विजय, विक्रान्त, आनंद, दिनेश और राहुल की टीम बनाकर गिरोह के दो अलग-अलग ठिकानों पर दबिश दी। गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ और जप्त रिकॉर्ड की छानबीन के आधार पर काफी सबूत और मिलने की संभावना है।
सी 21 मॉल के पिछले हिस्से की दो बिल्डिगों में कॉल सेंटर चल रहे थे। यहां रात होने पर अमरीका में दिन होता था, इसलिए रात में सारा काम होता था। पुलिस आरोपियों को गिरफ्तार करने के बाद दो बसों में लेकर पेशी के लिए पहुंची। आरोपित गिरफ्तारी के बाद भी लोगों से अभद्रता कर रहे थे, उन्हें किसी तरह का अफसोस नहीं था।