31 जुलाई आवेदन की अंतिम तारीख है, लेकिन अब तक रेरा की वेबसाइट पर मात्र 1 रजिस्टर्ड प्रोजेक्ट नजर आ रहा है।
इंदौर. रीयल एस्टेट व्यवसाय पर नियंत्रण के लिए गठित रीयल एस्टेट रेग्यूलेटरी अथॉरिटी (रेरा) के तहत रजिस्ट्रेशन में बिल्डर्स-डेवलपर्स व कॉलोनाइजर की रूचि नहीं है। आवेदन की 31 जुलाई अंतिम तारीख है, लेकिन अब तक रेरा की वेबसाइट पर मात्र 1 रजिस्टर्ड प्रोजेक्ट नजर आ रहा है। चार प्रॉपर्टी एजेंट ने भी रजिस्ट्रेशन करवाया है। बताया जा रहा है, 20 जुलाई के बाद रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया रफ्तार पकड़ सकती है।
केंद्र सरकार ने सभी प्रदेश सरकारों को रेरा लागू करने के लिए कहा है। मप्र ने अपने नियम-कायदे बनाते हुए इसे लागू कर प्राधिकरण भी गठित कर दिया। इसके लिए एक वेबसाइट बनाई है, जिसमें ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन हो रहे है। सोमवार तक इस पर एक मात्र प्रोजेक्ट होशंगाबाद जिले का नजर आया, जबकि प्रॉपर्टी एजेंट श्रेणी में 4 लोगों ने रजिस्ट्रेशन करवाया है। वहीं सरकार ने 30 अप्रैल से पहले पूर्णता प्रमाण पत्र नहीं होने पर भी रेरा का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य किया है। रजिस्ट्री में भी रेरा रजिस्टे्रशन नंबर अनिवार्य है।
जानकारी मांगने पर प्रशासन व नगर निगम ने जिले के एसडीएम क्षेत्र में जारी कॉलोनाइजर लाइसेंस की सूची रेरा प्राधिकरण को भेज दी है। इसकी संख्या करीब 390 है। इनमंे 206 प्रशासन ने जारी किए, शेष नगर निगम के हैं। वहीं प्रोजेक्ट की संख्या को देखें तो 600 से अधिक होने का अनुमान है, जिसमें टाउनशिप, बहुमंजिला सोसायटी व कॉलोनियां शामिल हैं।
जानकारी का अभाव
रीयल एस्टेट कारोबारियों का कहना है, अभी 12 दिन है, दस्तावेज जुटा कर आवेदन कर देंगे। सीए पुलकित मेहता ने कहा, रेरा के संबंध में जानकारी का अभाव है। रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया आसान है, लेकिन दस्तावेज जुटाना मुश्किल पड़ रहा है। सबसे ज्यादा दिक्कत उन प्रोजेक्ट में है, जिनके पूर्णता प्रमाण पत्र नहीं है या जो 75 प्रतिशत से अधिक बन गए हैं।
ये हैं अरुचि के कारण
निर्माणाधीन प्रोजेक्ट पर राहत की उम्मीद : प्राधिकरण ने निर्माणाधीन प्रोजेक्ट की श्रेणी में रजिस्ट्रेशन अनिवार्य किया है। बिल्डर्स व डेवलपर्स को उम्मीद है, अन्य राज्यों की तरह राहत मिल सकती है। कुछ राज्यों ने 60 फीसदी या अधिक निर्माण होने पर रजिस्ट्रेशन से छूट दी है।
जीएसटी-रेरा साथ :
केंद्र सरकार ने जीएसटी व प्रदेश सरकार ने रेरा में रजिस्ट्रेशन अनिवार्य कर दिया। इससे रीयल एस्टेट डेवलपर्स अभी जीएसटी का गणित समझने में लगे है।
रेरा के बाद की मुश्किल :
मकान, फ्लैट व प्लॉट खरीदार को समय सीमा में प्रोजेक्ट पूरा करके देना है। पांच साल तक सर्विसेस भी देना है।
फीस और दस्तावेज : जमीन संबंधित दस्तावेजों के साथ ही बैंक गारंटी व प्रोजेक्ट के अनुपातिक फीस में मुश्किल आ रही है।