इंदौर

भूमाफिया के चक्रव्यूह में उलझे अफसर, 148 प्लॉट और 2 हजार दावेदार

राजगृही कॉलोनी में है 1148, हजार की हो चुकी रजिस्ट्री, सहकारिता विभाग सौंपेंगे गैरविवादित प्लॉटों का कब्जा

इंदौरMar 01, 2020 / 11:48 am

Mohit Panchal

भूमाफिया के चक्रव्यूह में उलझे अफसर, 148 प्लॉट और 2 हजार दावेदार

इंदौर। भूमाफिया बॉबी छाबड़ा के हस्तक्षेप वाली जागृति गृह निर्माण संस्था के रोज रोज नए घोटाले सामने आ रहे हैं, जिनके चक्रव्यूह में अफसर उलझते जा रहे हैं। राजग्रही कालोनी में १४८ प्लॉटों के लिए दो हजार से अधिक दावेदार है। मजेदार बात ये है कि एक हजार सदस्यों को तो पहले ही रजिस्ट्री हो चुकी है, जिसमें सिर्फ ३६० ही साफ सुथरे प्लॉटों का कब्जा दिलाया जा सकता है।
जागृति गृह निर्माण सहकारी संस्था द्वारा पिपल्याहाना के पास काटी गई राजग्रही कालोनी को लेकर दो दशकों से विवाद चल रहा है। जीवन भर की पूंजी लगाने वाले सदस्य लंबे समय से भटक रहे हैं। उन्हें जिला प्रशासन अब न्याय दिलाने का प्रयास कर रहा है। भूमाफिया बॉबी छाबड़ा के हस्तक्षेप वाली इस संस्था की जैसे जैसे जांच हो रही है, वैसे वैसे नए नए घोटाले सामने आ रहे हैं। जैसे तैसे एक गुत्थी सुलझाते हैं, तो दूसरी तरफ नई कहानी सामने आ जाती है।
रजिस्ट्रार विभाग से राजग्रही की रजिस्ट्रियों की जानकारी निकाली गई तो नया खुलासा हुआ। ९० प्लॉट ऐसे हैं, जिनकी पूर्व अध्यक्ष शांतिलाल बम ने रजिस्ट्री कर दी थी और बाद में बेटे रविंद्र बम ने भी कर दी। पूर्व में कालोनी में ८९४ प्लॉट थे जिसे ११४८ किया गया। चौंकाने वाली बात ये है कि अब तक संस्था एक हजार सदस्यों को रजिस्ट्री कर चुकी है। अब संस्था के पास सिर्फ १४८ प्लाट हैं, जिसके लिए करीब दो हजार से अधिक दावेदार हैं। यहां तक गुत्थी सुलझी तो अब नई कहानी वरीयता सूची की सामने आ गई।
संस्था में काबिज कलाकारों ने पुराने सदस्यों को अलग-अलग तरीके से डिफॉल्टर कर नए सदस्य बना दिए। किसे प्राथमिकता दी जाए इसको लेकर कहानी उलझी हुई है। सिर्फ ३६० प्लॉट का मामला सुलझा हुआ है, जिसमें वरीयता और रजिस्ट्री का मिलान हो रहा है। ये सारी कहानी जांच अधिकारी एसडीएम प्रतुल्ल सिन्हा ने नोडल अधिकारी व अपर कलेक्टर दिनेश जैन को दी, जिसे कल संभागायुक्त आकाश त्रिपाठी की बैठक में भी रखा गया था। अब तय नहीं हो पा रहा है कि १४८ प्लॉट नए या पुराने सदस्यों को दिए जाएंगे।

कलाकारों ने नहीं दिया रिकॉर्ड
संस्था में काबिज कलाकारों ने जांच अधिकारियों को पुराना रिकार्ड नहीं दिया है। उनका कहना है कि हमारे पास 2006 के पूर्व का कोई भी रिकार्ड उपलब्ध नहीं है। ऐसा हर ऑडिट रिपोर्ट में लिखा गया है तथा आज भी इसका रिकार्ड व्यवस्थित नहीं है। संस्था की अंतिम सदस्यता सूची 20 अप्रैल 2018 को चुनाव के लिए प्रकाशित की गयी थी।
रजिस्ट्रियों की भी हो गई खरीद बेच
गौरतलब है कि एक हजार सदस्यों के पास राजगृही कालोनी की रजिस्ट्री है, जिसमें से ९० प्लॉट की दो या उससे अधिक रजिस्ट्री है। प्लॉट मिलने के बाद कई सदस्यों को समझ में आ गया था कि उनके साथ फर्जीवाड़ा हो गया, जिसके चलते उन्होंने भी दूसरे को प्लॉट बेच दिया या बैंक से लोन ले लिया। ऐसे कई लोग भटक रहे हैं।
बॉबी पर कसा शिकंजा
गृह निर्माण संस्थाओं के कानून की खामियां निकालकर कलाकारी करने वाले भूमाफिया बॉबी छाबड़ा पुलिस की रिमांड पर है। शुरुआत में खजराना पुलिस उससे पूछताछ कर रही थी। उस दौरान आईजी विवेक शर्मा को जानकारी लगी थी कि टीआई प्रितमसिंह ठाकुर उसकी मदद कर रहा है। फोन पर बात करा रहा है। मोबाइल टेप करने पर सच्चाई सामने आ गई, जिसके चलते ठाकुर सहित पांच पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया गया।
जांच के दौरान खुलासा हुआ कि बॉबी ने गिरफ्तारी के बाद दिल्ली के आशीष नामक शख्स से कई बार बात की। उसके अलावा किसी छोटू से भी बातचीत की गई। इसके अलावा कांग्रेस के कुछ नेताओं के भी नाम सामने आ रहे हैं, जो बॉबी की मदद कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि पुलिस इनके खिलाफ भी सबूत ढूंढ रही है ताकि मुकदमा दर्ज किया जा सके।
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