एडवोकेट कृष्णा कालरा के मुताबिक 13 दिसंबर 2015 को एजाज खान का बॉम्बे अस्पताल के पास से अपहरण हो गया था। मोहम्मद सैफी हुसैन पर अपहरण का आरोप है। छोडऩे के एवज में 35 लाख रुपए और कुछ सोने के जेवरात लिए गए थे। छूटने के बाद एजाज खान ने 14 दिसंबर को विजय नगर थान में इसकी शिकायत की थी, उनका मेडिकल करने के बाद शाम को एफआइआर लिखे बिना उन्हें रवाना कर दिया था और अगले दिन सुबह थाने बुलाय गया। 15 दिसंबर को जब एजाज खान सुबह थाने गए तो आरोपी मोहम्मद सैफी हुसैन भी वहीं मौजूद था। कालरा का कहना है टीआइ छत्रपालसिंह सोलंकी ने फरियादी से समझौता करने को कहा और अपहरण के एवज में वसूली गई 35 लाख की राशि खुद रख ली। विरोध करने पर आरोपी के साथ मिलकर फरियादी के साथ थाने में जमकर मारपीट की। एफआइआर दर्ज करे बिना कोर्ट में किया पेश कालरा ने बताया, 16 दिसंबर को दोपहर करीब 2.30 एजाज को कोर्ट में पेश किया, जबकि उसके खिलाफ थाने में एफआइआर दर्ज नहीं की थी। कोर्ट के पूछने पर 16 दिसंबर को दोपहर 3.02 मिनट पर एफआइआर दर्ज कर पेश की गई। जबकि केस दर्ज किए बिना कोर्ट में पेश नहीं किया जा सकता। इस केस के खिलाफ एजाज ने एक याचिका हाई कोर्ट में लगाई, जबकि टीआइ और हुसैन पर केस दर्ज करने के लिए परिवाद जिला कोर्ट में लगाया। 2020 में हाई कोर्ट ने एजाज पर दर्ज एफआइआर निरस्त कर दी, जबकि जिला कोर्ट के परिवाद में पेश दस्तावेज के आधार पर टीआइ के खिलाफ केस दर्ज करने के आदेश दिए गए हैं। हुसैन के खिलाफ भी अपहरण और फिरौती वसूलने का केस दर्ज किया गया है, जो विचाराधीन है।