हरदा निवासी व्यापारी संतोष तलरेजा की बेटी अंजलि (14) 9 अगस्त को शाम सहेली के साथ कोचिंग से लौटते वक्ता बेकाबू बस ने टक्कर मार दी थी। सिर पर गंभीर चोट आने से उसे प्राथमिक इलाज के बाद शेल्बी अस्पताल लाया गया। यहां शनिवार रात 3.15 बजे पहली और सुबह 9.25 बजे दूसरी बार ब्रेन डेड घोषित किया गया। ब्रेन डेड की संभावना को देखते हुए मुस्कान ग्रुप के जीतू बागानी, रेणु जयसिंघानी, लक्की खत्री आदि ने परिवार की काउंसलिंग शुरू की। अंजलि के परिवार में पिता संतोष, मां कंचन, बड़ी बहन साक्षी और छोटा भाई योगेंद्र बदहवास थे। माता-पिता राधा स्वामी सत्संग से जुड़े हैं। उन्होंने मानवसेवा की भावना से अंगदान के लिए हामी भर दी। इसके बाद रविवार शाम रिट्रिवल के बाद एक किडनी अस्पताल में ही भर्ती मंदसौर के पुरुष मरीज को ट्रांसप्लांट की गई। एक किडनी चोइथराम अस्पताल में और लिवर सीएचएल अस्पताल में ग्रीन कॉरिडोर बनाकर भेजा गया। हार्ट 30 फीसदी ही काम करने तथा लंग्स समय ज्यादा बीतने पर दान नहीं हो पाए। नेत्र एमके इंटरनेशनल आइ बैंक को दान किए गए।
2015 में शुरूआत, 34 बार बने ग्रीन कॉरिडोर अक्टूबर 2015 में पहली बार अंगदान के लिए इंदौर में ग्रीन कॉरिडोर बना था। रामेश्वर खेड़े के परिवार ने साहस दिखाया और लिवर व किडनियां दान की गईं। इसके बाद से शहर में अंगदान की मिसाल पेश करने का सिलसिला जारी है। बीते 34 माह में 34 बार अंगदान हो चुके हैं। इसी के साथ शहर में हार्ट, लिवर, किडनी, नेत्र, त्वचा, पेनक्रियास, बोनमैरो ट्रांसप्लांट की सुविधाएं भी शुरू हो चुकी हैं। इंदौर से भोपाल, मुंबई, दिल्ली, गुडग़ांव आदि शहरों में भी अंग पहुंचाए गए। इन कार्यों को देखते हुए देश में पहली बार प्रदेश की राजधानी को छोड़ किसी ओर शहर के रूप में इंदौर को स्टेट आर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट ऑर्गनाइजेशन (सोटो) सेंटर की अनुमति एमजीएम मेडिकल कॉलेज में मिली है।