scriptनारी के मातृत्व भावों को दिखाता है ‘ऑथेल्लो द सेकंड’ | 'Othello the second' shows female maternal feelings | Patrika News

नारी के मातृत्व भावों को दिखाता है ‘ऑथेल्लो द सेकंड’

locationइंदौरPublished: Aug 13, 2019 04:53:23 pm

मराठी नाट्य स्पर्धा के अंतिम दिन वेल एन वेल एजुकेशन सोसायटी ने दी प्रस्तुति

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नारी के मातृत्व भावों को दिखाता है ‘ऑथेल्लो द सेकंड’

इंदौर. मराठी नाट्य स्र्पधा के अंतिम दिन डीएवीवी ऑडियोरिटम में संस्था वेल एन वेल एजुकेशन सोसायटी द्वारा नाटक ‘ऑथेल्लो दि सेकंड’ का मंचन किया गया। एलएम बांदेकर द्वारा लिखित और रेखा देशपांडे द्वारा निर्देशित इस नाटक की कहानी सामंती व्यवस्था को दशार्ती है।
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करीब सात दशक पुराने कालखंड के इस नाटक में जब हमारा सामांती समाज महिलाओं को नाटक आदि करने की अनुमति नहीं देता था, उसे भलीभांति दिखाया गया है। ऐसे में नाटककार स्त्री पात्रों की भूमिकाएं भी पुरुष कलाकार ही करते थे। जब वरिष्ठ अभिनेता और निर्देशकमहिलाओं को नाटक में लाने का आरंभ कर पुरानी प्रथाओं और मान्यताओं को समाप्त करता है। ऐसा करने पर उसे सामाजिक प्रताडऩा मिलती है, लेकिन वह परवाह नहीं करता। आगे चलकर उसका बेटा विनायक भी ऐसा ही करता है, लेकिन उसके मन में पत्नी मालिनी के प्रति संदेह उत्पन्न हो जाता है।
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वह अपनी पत्नी मालिनी पर शक करता है कि उसका साथी कलाकार के साथ अवैध संबंध। उस समय वह गर्भवती होती है, लेकिन विनायक उसे बच्चा गिराने को कहता है। सतीत्व को प्रमाणिक करने से अधिक प्यारा मालनी को मातृत्व का भाव लगता है। विनायक का मनोरोग विक्षिप्तता में बदल जाता है और वह पत्नी का त्याग कर देता है। जब अपने बच्चों को जन्म देने की चाह में मालिनी साथी कलाकार के साथ चली जाती है तो उसे कई तरह के सामाजिक उलाहना दिए जाते हैं। इस बीच नटवर्य की बेटी भी नाटक में काम करने लगती है। वह अपने भाई विनायक और मां को यह विश्वास दिलाने में कामयाब होती है कि नाटक में काम करना भी स्त्रियों के लिए सुरक्षित और सम्मानजनक है। अंतत बहन अपने भाई का दांपत्य बचाने में कामयाब हो जाती है। नाटक में स्त्री के मातृत्व भावों को बड़ी गंभीरता से दिखाया गया है।
मुख्य पात्रों विनायक और मालिनी की भूमिका क्रमश: गौरव चैतन्य और दैविका तपस्वी ने निभाई। आई की भूमिका डायरेक्टर रेखा देशपांडे ने बखूबी निभाई। उनका निर्देशन भी उतना ही असरकारी था।

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