हर वर्ष निगम में बजट में एक मोटी राशि बगीचों के लिए रखी जाती है, ताकि इनकी उजड़ी सूरत को पौधे और आकर्षक लाइट लगाने के साथ सिविल वर्क कर संवारा जा सके। बगीचों में पौधे लगाकर खूबसूरत बनाने की जिम्मेदारी जहां उद्यान विभाग की है, वहीं सिविल वर्क का काम जनकार्य विभाग से होता है। लाइटिंग विद्युत विभाग लगाता है। बगीचों को संवारने के लिए हर वर्ष ढेरों फाइलें पार्षदों के माध्यम से इन विभागों में लगती हैं, लेकिन मंजूर न के बराबर होती हैं। नतीजतन कई बगीचे उजाड़ और बदहाल हैं।
पिछले दिनों निगम ने शहर के बगीचों का सर्वे करवाया था। इसमें 1150 का आंकड़ा सामने आया। इसमें से 60 प्रतिशत तो पूरी तरह डेवलप हैं और बाकी 40 प्रतिशत के हिसाब से तकरीबन 460 बगीचे उजाड़ पड़े हैं। इनको संवारने की प्लानिंग तो हो रही, लेकिन उद्यान और जनकार्य विभाग की आपसी खींचतान के चलते कागजों से निकलकर धरातल पर प्लानिंग नहीं आ रही है।
उद्यान विभाग अफसरों के अनुसार बगीचे संवारने के लिए हमारे पास पौधे के साथ लगाने के लिए टीम तैयार है, लेकिन जनकार्य विभाग से सिविल वर्क न होने के कारण काम अटकता है। जनकार्य विभाग के अफसरों का कहना है कि बजट अभी आया नहीं है। जैसे ही आएगा, वैसे ही काम शुरू होगा।
पानी और सुरक्षा जरूरी
उद्यान विभाग अफसरों का कहना है कि बगीचों में लगाने के लिए हमारे पास पर्याप्त पौधे हैं। पिछले 3 वर्ष में हमने 127 बगीचे डेवलप किए हैं। डेवलप करने को लेकर अभी 20 बगीचों की सूची मिली है। 40 किलोमीटर तक डिवाइडर और ग्रीन बेल्ट पर पौधे लगाए गए हैं। सर्वे में जो 40 प्रतिशत बगीचे उजाड़ सामने आए हैं, उनमें सीवर वर्क होते ही हम पौधे लगा देंगे। शर्त यही है कि पानी और सुरक्षा की व्यवस्था हो।
रहवासी भी ले सकते हैं बगीचे
निगम अफसरों का कहना है कि बगीचों को रहवासी अगर अपनी जिम्मेदारी पर सुरक्षित रखना चाहेंगे और रोज पानी देंगे, तो हम अच्छे पौधे लगाने को तैयार हैं। 4 से 5 फीट तक के पौधे निगम बगीचे में लगाकर देगी। इनके लिए पानी का कोई न कोई स्त्रोत जरूरी है, क्योंकि टैंकर से पानी देने में खर्च बहुत आता है।