ममता के पूरे काम को देखें तो उनमें एब्सट्रैक्ट है, फिगरेटिव भी, लैंडस्केप और पोट्रेट भी। सभी शैलियों में काम करते हुए उनकी शैली में ज्यामितीय आकार अनायास शामिल हो जाते हैं। गहरे अमूर्तन में त्रिकोण और चौकोने पहचाने जा सकते हैं। आयत और वर्तुलाकार आकृतियां भी हर जगह नजर आती हैं । वो इस तरह मूल आकृति के साथ गुंथी हुई होती हैं उन्हें अलग से देखपाना कठिन होता है।
टेक्सचर के साथ काम
ममता की पेंटिंग्स में एक विशेषता उनका टेक्सचर है। वो टेक्सचर क्रिएट करने के लिए कई तरह की विधियों का इस्तेमाल करती है पर विधि जो भी हो हर टेक्सचर पेंटिंग को अलग आभा देता है। कुछ टेक्सचर तो पेंटिंग को रेगमाल की तरह बना देते हैं और कुछ एेसे हैं जैसे कैनवास पर बारीक धागे पिरो दिए हों।
ममता की पेंटिंग्स में एक विशेषता उनका टेक्सचर है। वो टेक्सचर क्रिएट करने के लिए कई तरह की विधियों का इस्तेमाल करती है पर विधि जो भी हो हर टेक्सचर पेंटिंग को अलग आभा देता है। कुछ टेक्सचर तो पेंटिंग को रेगमाल की तरह बना देते हैं और कुछ एेसे हैं जैसे कैनवास पर बारीक धागे पिरो दिए हों।
ममता अग्रवाल वैसे तो कई बरस से पेंटिंग कर रही हैं पर कुछ वर्षों की खामोशी के बाद वह अपना सोलो शो लेकर आ रही हैं। २१ अप्रैल से पेंटिंग्स का सोलो शो उनकी ही नई यानी ममताज ला मैग्नेटो आर्ट गैलरी में शुरू होगा। सोमवार को उन्होंने अपनी एग्जीबिशन का प्रिव्यू रखा, जिसके जरिए उनकी सृजनात्मकता को समझने का मौका मिला।
सन के रेशे को कैनवास पर उतारा
ममता की पेंटिंग्स में दो तीन धाराएं पहचानी जा सकती हैं। एक धारा लैंडस्केप की है, जिसमें बर्फीले पर्वत शिखर हैं तो कुछ अमूर्त लैंडस्केप हैं जिसमें रंग और बारीक खड़ी रेखाओं का इस्तेमाल किया गया है। दूसरी धारा स्प्रिचुअल है जिसमें वह शिवयोग से प्रभावित होकर कलाकृतियां रचती हैं। उनमें शिव का तीसरा नेत्र उन्हांेने एक प्रतीक की तरह इस्तेमाल किया है।
ममता की पेंटिंग्स में दो तीन धाराएं पहचानी जा सकती हैं। एक धारा लैंडस्केप की है, जिसमें बर्फीले पर्वत शिखर हैं तो कुछ अमूर्त लैंडस्केप हैं जिसमें रंग और बारीक खड़ी रेखाओं का इस्तेमाल किया गया है। दूसरी धारा स्प्रिचुअल है जिसमें वह शिवयोग से प्रभावित होकर कलाकृतियां रचती हैं। उनमें शिव का तीसरा नेत्र उन्हांेने एक प्रतीक की तरह इस्तेमाल किया है।
कुछ कुंडलिनी और चक्रों पर आधारित कृतियां भी हैं। एक और धारा फिगरेटिव पेंटिंग्स की है। इस बीच उन्हांेने कुछ माध्यमय में प्रयोग भी किए हैं। उन्होंने सन के रेशे को कैनवास पर रंग से इस तरह संयोजित किया है कि वह बारीक रेशे एक सुंदर कलाकृति में बदल गए हैं। रंगों को कैनवास पर लगाने के तरीके में वह कुछ नए प्रयोग कर रही हैं।