5000 लोगों को रोजगार
पालदा में 500 से अधिक बड़े और छोटे उद्योग हैं। करीब 5 हजार लोगों को रोजगार देता है यह क्षेत्र। उसके बावजूद हर बार विकास कार्यों के लिए सिर्फ आश्वासन दिए जाते हैं। पिछले करीब पांच साल से हम लगातार प्रयास कर रहे हैं, लेकिन अफसर और जनप्रतिधि आश्वासन देकर चले जाते हैं काम नहीं होते। -प्रमोद जैन, अध्यक्ष, पालदा औद्योगिक संगठन
पालदा में 500 से अधिक बड़े और छोटे उद्योग हैं। करीब 5 हजार लोगों को रोजगार देता है यह क्षेत्र। उसके बावजूद हर बार विकास कार्यों के लिए सिर्फ आश्वासन दिए जाते हैं। पिछले करीब पांच साल से हम लगातार प्रयास कर रहे हैं, लेकिन अफसर और जनप्रतिधि आश्वासन देकर चले जाते हैं काम नहीं होते। -प्रमोद जैन, अध्यक्ष, पालदा औद्योगिक संगठन
चौकी नहीं, लगातार बढ़ रही चोरी
औद्योगिक क्षेत्र के अधिकांश हिस्से में स्ट्रीट लाइट नहीं है। अंधरे में खराब सडक़ों के कारण आए दिन दुर्घटनाएं होती रहती है। कोरना वायरस संक्रमण के चलते पिछले वर्ष से चोरी की घटनाएं भी लागातार बढ़ रही हैं। स्ट्रीट लाइट को लेकर भी नगर निगम से कई बार मांग कर चुके है, लेकिन सुनवाई नहीं हो रही है। यहां एक प ुलिस चौकी बनाने की मांग वर्षों से की जा रही है, पर सुनवाई नहीं हो रही है।
-अक्षय वोहरा. उद्योगपति, पोलोग्राउंड औद्योगिक क्षेत्र
औद्योगिक क्षेत्र के अधिकांश हिस्से में स्ट्रीट लाइट नहीं है। अंधरे में खराब सडक़ों के कारण आए दिन दुर्घटनाएं होती रहती है। कोरना वायरस संक्रमण के चलते पिछले वर्ष से चोरी की घटनाएं भी लागातार बढ़ रही हैं। स्ट्रीट लाइट को लेकर भी नगर निगम से कई बार मांग कर चुके है, लेकिन सुनवाई नहीं हो रही है। यहां एक प ुलिस चौकी बनाने की मांग वर्षों से की जा रही है, पर सुनवाई नहीं हो रही है।
-अक्षय वोहरा. उद्योगपति, पोलोग्राउंड औद्योगिक क्षेत्र
बोरिंग और टैंकरों के भरोसे उद्योग
क्षेत्र में अलग-अलग तरह के उद्योग संचालित होते हैं। फर्नीचर, कन्फेक्शनरी, प्लास्टिक सहित फर्नीच से जुड़ी भी उद्योग हैं, लेकिन यहां परअब तक नर्मदा की लाइन नहीं है। अधिकांश उद्योग बोरिंग के भरोसे संचालति होते हैं। कुछ उद्योगों को टैंकरों के माध्यम से काम चलाना पड़ता है। गर्मियों में बोरिंग बंद होने से परेशानी अधिक होती है।
-महेश अग्रवाल, उद्योगपति
क्षेत्र में अलग-अलग तरह के उद्योग संचालित होते हैं। फर्नीचर, कन्फेक्शनरी, प्लास्टिक सहित फर्नीच से जुड़ी भी उद्योग हैं, लेकिन यहां परअब तक नर्मदा की लाइन नहीं है। अधिकांश उद्योग बोरिंग के भरोसे संचालति होते हैं। कुछ उद्योगों को टैंकरों के माध्यम से काम चलाना पड़ता है। गर्मियों में बोरिंग बंद होने से परेशानी अधिक होती है।
-महेश अग्रवाल, उद्योगपति
जन सहयोग से बनी सडक़ भी कर दी खराब
पालदा औद्योगिक क्षेत्र के सचिव हरीश नागर ने बताया, पिछले साल पालदा के मामाजी टोल नाके वाली करीब आधा किलोमीटर की सडक़ जन सहयोग से बनवाई गई थी। पिछले दिनों उसे स्टॉम वॉटर लाइन के लिए तोड़ा गया था। लाइन डाल दी गई है, लेकिन वह सडक़ वापस ठीक नहीं की गई है। बाकी सडक़ों की हालत तो काफी खराब है। बारिश में तो मुश्किले काफी बड़ जाती है। फैक्ट्रियों से माल लाना ले जाना मुश्किल होता है।
पालदा औद्योगिक क्षेत्र के सचिव हरीश नागर ने बताया, पिछले साल पालदा के मामाजी टोल नाके वाली करीब आधा किलोमीटर की सडक़ जन सहयोग से बनवाई गई थी। पिछले दिनों उसे स्टॉम वॉटर लाइन के लिए तोड़ा गया था। लाइन डाल दी गई है, लेकिन वह सडक़ वापस ठीक नहीं की गई है। बाकी सडक़ों की हालत तो काफी खराब है। बारिश में तो मुश्किले काफी बड़ जाती है। फैक्ट्रियों से माल लाना ले जाना मुश्किल होता है।
टेंडर प्रक्रिया पूरी
पालदा की सडक़ों को लेकर टेंडर प्रक्रिया पूरी हो गई है। कोरोना के नियंत्रित होते ही वहां की करीब 3 किलोमीटर सडक़ों का निर्माण कार्य शुरू किया जाएगा । -प्रतिभा पाल, निगमायुक्त
पालदा की सडक़ों को लेकर टेंडर प्रक्रिया पूरी हो गई है। कोरोना के नियंत्रित होते ही वहां की करीब 3 किलोमीटर सडक़ों का निर्माण कार्य शुरू किया जाएगा । -प्रतिभा पाल, निगमायुक्त