तंत्र-मंत्र का खेल कुछ भी नहीं होता, जो कुछ होता है वह सब कर्मों का खेल होता है। कलयुग में केवल भगवान के नाम का स्मरण ही काम आएगा। वही हमारे कष्टों को काट सकता है। यह विचार सिहोर वाले पं. प्रदीप मिश्रा ने दलालबाग में चल रही शिव महापुराण कथा में व्यक्त किए।
पं. मिश्रा ने कहा, अक्सर लोग शिकायत करते हुए मिलते हैं कि कोई तंत्र-मंत्र कर रहा है। कोई कहता है कि मेरे यहां कोई नींबू फेंक जाता है। हकीकत में देखो तो ऐसा कुछ नहीं होता। कोई तंत्र-मंत्र से किसी का कुछ बिगाड़ नहीं सकता। यदि ऐसा होता तो देश के धन्ना सेठों पर अपनी क्रिया करके दिखाता। हकीकत यह है कि हम जिसे तंत्र-मंत्र का प्रयोग का परिणाम मान रहे हैं, वह हमारे कर्मों का फल है। जो हमें भोगना है उसे तो भोगना ही पड़ेगा। कलयुग में केवल भगवान के नाम का स्मरण ही हमारे कष्टों को काट सकता है। कलयुग भगवान शिव का युग है। कण-कण में शिव हैं। शिव की आराधना कभी खाली नहीं जाती है। डमरू वाला जब देता है तो छप्पर फाड़ कर देता है। पं. मिश्रा ने कहा, जब कष्ट आए तो घबराओ मत। भगवान को याद करो। उसके भजन में डूब जाओ। ऐसे में कष्ट एक बार आएगा, दो बार आएगा, तीन बार आएगा.. फिर आना बंद हो जाएगा।