इंदौर.‘पापा में जीना चाहती हूं, पर उन लोगों ने मेरी आत्मा को इस तरह रौंद दिया है कि मैं अपने आप से भी आंखें नहीं मिला पा रही हूं।Ó यह लिखकर फांसी के फंदे से आत्महत्या करने वाली बहू को करीब 9 साल बाद न्याय मिला है। मकान, दुकान सहित डेढ़ लाख रुपए दहेज की मांग के चलते महिला को परेशान करने वाले पति और सास को कोर्ट ने दोषी पाते हुए 10-10 वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। वर्ष 2013 की घटना में एक दर्जन से अधिक गवाहों के बयान, सुसाइड नोट और अन्य सबूतों के आधार पर अपर सत्र न्यायाधीश उत्तम कुमार डॉर्वी ने सजा सुनाई है। दोनों आरोपियों पर 500-500 रुपए का अर्थदंड भी किया है।लोक अभियोजक संजय शुक्ला ने बताया, नेमावर रोड के बाबूलाल नगर निवासी विजय परिहार और उसकी मां मन्नुबाई परिहार के खिलाफ दहेज प्रताडऩा और आत्महत्या के लिए प्रेरित करने की धाराओं में केस दर्ज किया गया था। बहू सोनू की विजय के साथ 11 मई 2013 को शादी हुई थी। शादी के कुछ दिन बाद से पति, सास सहित ससुराल वाले दहेज के लिए उसे प्रताडि़त करने लगे थे। लगातार मिल रही शारीरिक और मानसिक प्रताडऩा से परेशान होकर 2 अक्टूबर 2013 को सोनू ने पिता के घर आकर आत्महत्या कर ली थी। संयोगितागंज पुलिस द्वारा बरामद सुसाइड नोट में दहेज के लिए प्रताडि़त करने का उल्लेख था।