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पैर पर चढ़ा था प्लास्टर, आरटीओ अफसर-बाबू उसे लगवाते रहे चक्कर

locationइंदौरPublished: May 10, 2019 10:59:46 am

Submitted by:

Sanjay Rajak

आरटीओ में मानवता शर्मसार

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पैर पर चढ़ा था प्लास्टर, आरटीओ अफसर-बाबू उसे लगवाते रहे चक्कर

संजय रजक. इंदौर.

परिवहन विभाग के इंदौर आरटीओ कार्यालय में एक बार फिर मानवता शर्मसार हुई। एक दुर्घटना में घायल हुए आवेदक को अफसर-बाबू एक फ्लोर से दूसरे पर भेजते रहे, जबकि आवेदक के पैर में प्लास्टर चढ़ा हुआ है। काम जरूरी था, इसलिए आवेदक भी आंखों में आंसू लिए बिना दर्द की परवाह किए बाबुओं के इशारे पर नाचता रहा। दोपहर बाद जब थक-हार गया और निराश हो गया, तब जाकर बाबुओं ने तरस खाकर काम किया।
अहमदाबाद से आए कमल सिंह ने बताया कि इंदौर आरटीओ में वर्ष 2000 में लाइसेंस बना था। अब मैं अहमदाबाद में शिफ्ट हो चुका हूं। वहीं पर गाड़ी चलाता हूं। अहमदाबाद से लाइसेंस बनवाना था, इसलिए इंदौर आरटीओ से 27 मार्च को एनओसी ली थी। जब अहमदाबाद गया तो वहां बताया गया कि इस एनओसी के साथ कंफर्ममेशन लेटर भी लगेगा। इसी दौरान मेरा एक्सीडेंट हो गया। जिसमें एक पैर नीचे से कट गया। पूरे पैर पर प्लास्टर चढ़ाना पड़ा।
किसी ने मदद नहीं की

कमल ने बताया कि कंफर्ममेशन लेटर के लिए बुधवार सुबह आरटीओ कार्यालय आया था, लेकिन कहीं पर भी मदद नहीं मिल पा रही थी। यहां मौजूद अफसर-बाबू दिनभर कभी पहली मंजिल पर भेजेते तो वहां से वापस नीचे भेज देते। इसके बाद एक कमरे से दूसरे कमरे में भेजा जाता। एक पैर में प्लास्टर होने के कारण खिसकना पड़ रहा था। जब थक-हार गया तब जाकर दोपहर बाद कंफर्ममेशन लेटर जारी किया गया।
45 दिन का समय दिया

कमल ने बताया कि अहमदाबाद आरटीओ से बताया गया था कि अगर 45 दिन में कंफर्ममेशन लेटर नहीं लाए तो लाइसेंस आईडी लॉक हो जाएगी। इसलिए सुबह से यहां परेशान हो रहा हूं।
ऐसा आए दिन होता है

इंदौर आरटीओ में उनका ही काम होता है जो कि एजेंट-एवजी के संपर्क से आते हैं या फिर किसी पहचान लेकर। आम आवेदक को इसी तरह परेशान होना पड़ता है।

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