must read : महिला ने बनाई अपनी गैंग, गिरोह के साथ मिलकर करने लगी ये काम सामाजिक संसद के चुनाव को लेकर संजय पाटोदी और दीपक कासलीवाल ने तीन याचिका लगाई थीं। संजय पाटोदी ने सभी प्रत्याशियों के निर्वाचन फॉर्म चुनाव अधिकारी नकुल पाटोदी द्वारा निरस्त करने पर एक मात्र फॉर्म बचे होने पर स्वयं को सामाजिक संसद का अध्यक्ष मानते हुए दूसरे चुनाव को निरस्त करने की मांग की थी। याचिका के बाद कई तारीख पर उपस्थित न होने पर 12वें व्यवहार न्यायाधीश कला भम्मरकर ने याचिका को खारिज कर दिया। दीपक कासलीवाल ने सामाजिक संसद का सदस्य होने के नाते दो याचिका अलग-अलग लगाई थी, जिसमें तत्कालीन अध्यक्ष प्रदीप कासलीवाल के चुनाव को अवैध और नकुल पाटोदी द्वारा करवाए गए चुनाव को वैध करार देने की मांग की गई थी। धारा 47 अंतर्गत रिव्यू फाइल की। उन्होंने दो चुनाव में दो अध्यक्ष बनने को लेकर आपत्ति ली थी। उनका कहना था, संस्था का सिर्फ एक अध्यक्ष होना चाहिए। सुनवाई के बाद न्यायाधीश ने दीपक कासलीवाल की भी दोनों याचिकाएं खारिज कर दीं।
must read : लडक़ी को झांसे में लेकर लूटी अस्मत, फिर उसकी सहेलियों पर भी डाली बुरी नजर पाटोदी ही संसद के वास्तविक निर्वाचित अध्यक्ष सामाजिक संसद के चुनाव के वक्त विवाद की स्थिति बनी थी। नकुल पाटोदी चुनाव अधिकारी बनाए गए थे। निर्वाचन कमेटी में नवीन गोधा व दिलीप पाटनी भी थे। कमेटी के दोनों सदस्यों के असहमत होने के बाद भी नकुल ने फॉर्म निरस्त कर दिए थे, जो पूर्व में स्वीकृत कर लिए गए थे। नकूल को तत्कालीन अध्यक्ष ने असंवैधानिक गतिविधियों के कारण चुनाव अधिकारी पद से हटा दिया था। नए चुनाव अधिकारी ने संविधान के मुताबिक चुनाव करवाए। प्रिंसपाल टोंग्या द्वारा कराए गए चुनाव के विरुद्ध याचिका लगाई गई थी। चुनाव को निरस्त करवाने की मांग को कोर्ट ने निरस्त कर दिया है। इससे स्पष्ट होता है कि चुनाव वैध है और उनकी याचिका खारिज होने के कारण राजकुमार पाटोदी संसद के वास्तविक अध्यक्ष हैं। -प्रदीप सिंह कासलीवाल, तत्कालीन अध्यक्ष
सत्य की जीत चुनाव प्रक्रिया के दौरान संजय पाटोदी व दीपक कासलीवाल ने याचिकाएं लगाईं। न्यायालय ने दोनों याचिकाओं को खारिज करते हुए हमारे चुनाव को वैध माना है। कोर्ट के फैसले से सत्य की जीत हुई है। -राजकुमार पाटोदी, अध्यक्ष, सामाजिक संसद, दिगंबर जैन समाज
स्वास्थ ठीक नहीं होने से नहीं दिया ध्यान एक वर्ष से स्वास्थ ठीक नहीं होने के चलते वाद पर ध्यान नहीं दे पाया। अन्य सदस्यों की वाद में कोई रूचि नहीं थी। इसके चलते न्यायालय का यह परिणाम आया है। –दीपक कासलीवाल, याचिकाकर्ता
संविधान के अनुरूप ही चुनाव मैंने तो संविधान के अनुरूप ही चुनाव करवाए थे। इसके बावजूद एक गुट ने अलग चुनाव करवाए थे। इसके चलते सामाजिक संसद के चुनाव में यह स्थिति बनी। -नकुल पाटोदी, चुनाव अधिकारी