– देश की राजनीति की सफाई से पहले घर में मौजूद दहेज प्रताडऩा, घरेलु हिंसा जैसी गंदगी साफ करना होगी।
– अपनी मर्यादा को ध्यान में रख राजनीति में उतरें महिलाएं किसी की हिम्मत नहीं शोषण कर ले।
– जब महिला अपने घर और समाज को संभाल सकती है तो देश क्यों नहीं?
– प्रदेश और देश की राजनीति में बहुत कम महिलाएं हैं जो खुद के दम पर आगे आई हैं वरना उन्हें ही मौका मिल रहा है जिनके परिवार में कोई राजनीति से जुड़ा है। महिलाओं को आगे आना चाहिए। -सुषमा व्यास, लेखिका संघ
– महिलाओं के राजनीति में आने से पहले उनकी सुरक्षा अहम मुद्दा है। जब तक महिलाओं को स्वतंत्र सोच के साथ काम करने की आजादी नहीं होगी राजनीति के शुद्धिकरण के लिए आगे नहीं आएंगी। हालांकि अब सोच में बदलाव आया है। – मंजूषा जौहरी, लेखिका संघ
– पत्रिका की स्वच्छ सोच को सलाम। राजनीति की सफाई के लिए महिलाओं को आगे आने की जरूरत है। हमें बेशर्म बनना होगा… लोग क्या कहेंगे की सोच से बाहर निकलकर देश हित के लिए पुरुषों की बराबरी में आकर खड़ा होगा तब देश सुधरेगा। – डॉ. रजनी भंडारी
– राजनीति एक दलदल है और इसकी सफाई इसमें उतरकर और बाहर से दोनों तरीकों से हो सकती है। बिना पुरुषों की बैसाखी के भी देश के विकास के लिए महिलाओं को आगे आना चाहिए। आज के हालात में आधी आबादी का यह धर्म होना चाहिए। – विजय लक्ष्मी जैन
– राजनीति को साफ करने से पहले महिलाओं को अपने मताधिकार का बेहतर इस्तमाल करना सीखना होगा। मायके या ससुराल की सोच से ऊपर उठकर अपनी विचाराधारा के आधार जनप्रतिनिधि चुनना होगा। पार्टी नहीं व्यक्ति को चुनने की सोच बनाएं। – सुषमा शर्मा, एडवोकेट
– राजनीति के शुद्धिकरण में महिलाओं के आगे आने में सबसे अधिक अहम है कि उन्हेंं अपनी भावनाओं पर नियंत्रण रख आने आना होगा। – माया बोहरा, मनोचिकित्सक
– राजनीति का उद्देश्य बदल चुका है। यह एक सेवा कार्य है, लेकिन देश की सोच बदल चुकी है। अब इसमें सिर्फ वही लोग आ रहे हैं जो राज करना चाहते हैं। – रानू जैन गुप्ता, फिक्की फ्लो
– जब हम परिवार और समाज की सेवा बेहतर तरीके से कर सकते हैं, तो फिर देश की सेवा क्यों नहीं कर सकते। महिलाएं कहीं कम नहीं है। – आरती मेहरा
– राजनीति बहुत अच्छी होती है, इसी से देश चलता है और इसी से सबकुछ होता है। महिलाओं के इसमें आगे आने से देश की सोच बदलेगी। पिछले कुछ वर्षो में हालात बदले हैं। अब पढ़ी लिखी और समृद्ध परिवार की महिलाओंं की भागीदार बढ़ रही है जो अच्छा संकेत है। – संध्या राय चौधरी
– पुरुष प्रधान समाज में राजनीति के शुद्धिकरण के लिए महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाना होगा। इसके लिए चाहिए की विधानसभा और लोकसभा में महिलाओं को 50 फीसदी तक आरक्षण दिया जाए। अभी सिर्फ दिखावे के लिए पार्टियां महिलाओं को आगे करती हैं। – विनिता तिवारी
– महिलाएं लक्ष्मी है, सरस्वती है और काली भी हैं, लेकिन राजनीति के शुद्धिकरण के लिए हमें महालक्ष्मी और महाकाली बनना होगा। पूरी ताकत के साथ राजनीति के मैदान संभालना होगा, देश में बदलाव की जिम्मेदारी महिलाओं को ही संभालना होगी। – शुभा वैद्य
– नेतृत्व एक नैसर्गिक गुण है और महिलाओं में यह बेहतर होता है। यदि राजनीति में आने के बाद महिलाएं अपना व्यक्तिव प्रभावशाली रखें तो शोषण जैसी कोई बात राजनीति में नहीं है। महिलाओं का नेतृत्व कमजोर नहीं है और देश के विकास में उसकी अहम भूमिका है। – माला सिंह ठाकुर
– समाज मेंं प्राचीनकाल से मौजूद लैंगिक असमानता वाली सोच को खत्म करने पर पहले विचार करना होगा। महिलाओं को लगता है कि राजनीति उनका विषय नहीं है, पर वास्तव में ऐसा नहीं है। जब हम हमारे परिवार को ठीक रख सकते हैं तो देश भी बेहतर संभालेंगे। – ज्योति जैन
– महिलाओं को देश के विकास के लिए अपनी परिधी से बाहर आने की जरूरत है। इसमें कुछ चुनौतियां है, लेकिन यदि उनका सामना कर देश और समाजहित में देश की आधी आबादी आगे आएगी, हर वर्ग को फायदा मिलेगा। पुरुष प्रधान समाज की सोच में बदलाव होगा। -शिवानी जैन
– पत्रिका का महाअभियान काबिल-ए-तारीफ है। अब तक सभी लोग राजनीति की खामिया गिनाते हैं, लेकिन पहली बार कोई मंच है जो बात कर रहा है कि राजनीति को कोसने की बजाए उसे शुद्ध करने पर काम हो, जिससे देश का विकास हो। -विनिता राज, उद्योगपति