scriptPATRIKA CHANGEMAKERS : महिलाएं बोलीं-राजनीति की गंदगी में उतरकर ही हो सकता है शुद्धिकरण | patrika changemakers meeting in indore office | Patrika News

PATRIKA CHANGEMAKERS : महिलाएं बोलीं-राजनीति की गंदगी में उतरकर ही हो सकता है शुद्धिकरण

locationइंदौरPublished: May 31, 2018 09:22:43 pm

आधी आबादी यदि खुद अपनी पार्टी बना ले तो बदल जाएगा देश

changemakers

PATRIKA CHANGEMAKERS : महिलाएं बोलीं-राजनीति की गंदगी में उतरकर ही हो सकता है शुद्धिकरण

इंदौर. देश की राजनीति के शुद्धिकरण को लेकर पत्रिका के महाअभियान चेंजमेकर्स के तहत गुरुवार को शहर की प्रबुद्ध महिलाओं ने अपने विचार रखे। देश की आधी आबादी का प्रतिनिधित्व करने वाली महिलाओं का कहना था कि राजनीति गंदी है यह सभी जानते हैं, लेकिन इसकी सफाई गंदगी मेें उतर कर ही की जा सकती है। महिलाओं से बड़ा मैनेजमेंट गुुरु कोई नहीं होता है… वे हर तरह की सफाई में निपुण होती हैं। वह घर चलाती हैं.. समाज चलाती हैं और वे देश भी बेहतर तरीके से चला सकती हैं। कुछ महिलाओं का कहना था यदि कांग्रेस-भाजपा सहित अन्य पार्टियों को भूल महिलाएं अपनी एक अलग पार्टी बनालें तो देश बदल सकता है।
पत्रिका कार्यालय पर करीब दो घंटे तक चले लंबे विचार विमर्श में महिलाओं ने एकमत होकर कहा.. राजनीति की सफाई के लिए महिलाओं को आगे आना चाहिए। सिर्फ अपने घर पर बैठकर राजनीति की खामियां गिनाने से अब बात नहीं बनेगी। पत्रिका के महाअभियान की प्रशंसा करते हुए महिलाओं ने कहा आने वाले चुनाव में यह अभियान प्रदेश और देश की दशा और दिशा बदलेगा।
changemakers-2
इन बातों पर किया जाए अमल

– राजनीति सिर्फ राज करने के लिए नहीं, समाज की सेवा के लिए होना चाहिए।
– देश की राजनीति की सफाई से पहले घर में मौजूद दहेज प्रताडऩा, घरेलु हिंसा जैसी गंदगी साफ करना होगी।
– अपनी मर्यादा को ध्यान में रख राजनीति में उतरें महिलाएं किसी की हिम्मत नहीं शोषण कर ले।
– जब महिला अपने घर और समाज को संभाल सकती है तो देश क्यों नहीं?
ये भी रहे उपस्थित

कार्यक्रम में डॉ. गरिमा संजय दुबे, रश्मि वाघले, वंदना पुणताम्बेकर, माधवी कुलकर्णी, शालिनी चतुर्वेदी, सरिता काला, डॉ. सुधा चौहान, राजश्री पाठक, भावना दामले, ग्रीष्मा त्रिवेदी, स्निग्धा मौर्य, शाक्षी व्यास, मंजूला भूतड़ा, अलका झा, स्वाति द्रविड़ा, मोनिका पुरोहित, भावना कुरील, अरेफा यादव, रीना दुबे, अलका जैन, शिवानी जैन, सुषमा श्रीवास्तव, प्रेरणा अतोलिया, सोनू निमाड़े, दुर्गा मथवाल, नीतू लिखार, सविता कश्यप, ममता कुशवाल।
changemakers-3
इन महिलाओं ने रखे विचार

– फिलहाल देश की राजनीति में महिलाओं का प्रतिनिधित्व काफी कम है। दोनों बड़ी पार्टियां महिलाओं को आगे लाने की बात तो करती है, लेकिन सिर्फ मप्र विधानसभा की बात करें तो १३ प्रतिशत से भी कम विधायक महिला हैं। – भारती मंडोले, लेखिका संघ
– प्रदेश और देश की राजनीति में बहुत कम महिलाएं हैं जो खुद के दम पर आगे आई हैं वरना उन्हें ही मौका मिल रहा है जिनके परिवार में कोई राजनीति से जुड़ा है। महिलाओं को आगे आना चाहिए। -सुषमा व्यास, लेखिका संघ
– महिलाओं के राजनीति में आने से पहले उनकी सुरक्षा अहम मुद्दा है। जब तक महिलाओं को स्वतंत्र सोच के साथ काम करने की आजादी नहीं होगी राजनीति के शुद्धिकरण के लिए आगे नहीं आएंगी। हालांकि अब सोच में बदलाव आया है। – मंजूषा जौहरी, लेखिका संघ
– पत्रिका की स्वच्छ सोच को सलाम। राजनीति की सफाई के लिए महिलाओं को आगे आने की जरूरत है। हमें बेशर्म बनना होगा… लोग क्या कहेंगे की सोच से बाहर निकलकर देश हित के लिए पुरुषों की बराबरी में आकर खड़ा होगा तब देश सुधरेगा। – डॉ. रजनी भंडारी
– राजनीति एक दलदल है और इसकी सफाई इसमें उतरकर और बाहर से दोनों तरीकों से हो सकती है। बिना पुरुषों की बैसाखी के भी देश के विकास के लिए महिलाओं को आगे आना चाहिए। आज के हालात में आधी आबादी का यह धर्म होना चाहिए। – विजय लक्ष्मी जैन
– राजनीति को साफ करने से पहले महिलाओं को अपने मताधिकार का बेहतर इस्तमाल करना सीखना होगा। मायके या ससुराल की सोच से ऊपर उठकर अपनी विचाराधारा के आधार जनप्रतिनिधि चुनना होगा। पार्टी नहीं व्यक्ति को चुनने की सोच बनाएं। – सुषमा शर्मा, एडवोकेट
– राजनीति के शुद्धिकरण में महिलाओं के आगे आने में सबसे अधिक अहम है कि उन्हेंं अपनी भावनाओं पर नियंत्रण रख आने आना होगा। – माया बोहरा, मनोचिकित्सक
– राजनीति का उद्देश्य बदल चुका है। यह एक सेवा कार्य है, लेकिन देश की सोच बदल चुकी है। अब इसमें सिर्फ वही लोग आ रहे हैं जो राज करना चाहते हैं। – रानू जैन गुप्ता, फिक्की फ्लो
– जब हम परिवार और समाज की सेवा बेहतर तरीके से कर सकते हैं, तो फिर देश की सेवा क्यों नहीं कर सकते। महिलाएं कहीं कम नहीं है। – आरती मेहरा
– राजनीति बहुत अच्छी होती है, इसी से देश चलता है और इसी से सबकुछ होता है। महिलाओं के इसमें आगे आने से देश की सोच बदलेगी। पिछले कुछ वर्षो में हालात बदले हैं। अब पढ़ी लिखी और समृद्ध परिवार की महिलाओंं की भागीदार बढ़ रही है जो अच्छा संकेत है। – संध्या राय चौधरी
– पुरुष प्रधान समाज में राजनीति के शुद्धिकरण के लिए महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाना होगा। इसके लिए चाहिए की विधानसभा और लोकसभा में महिलाओं को 50 फीसदी तक आरक्षण दिया जाए। अभी सिर्फ दिखावे के लिए पार्टियां महिलाओं को आगे करती हैं। – विनिता तिवारी
– महिलाएं लक्ष्मी है, सरस्वती है और काली भी हैं, लेकिन राजनीति के शुद्धिकरण के लिए हमें महालक्ष्मी और महाकाली बनना होगा। पूरी ताकत के साथ राजनीति के मैदान संभालना होगा, देश में बदलाव की जिम्मेदारी महिलाओं को ही संभालना होगी। – शुभा वैद्य
– नेतृत्व एक नैसर्गिक गुण है और महिलाओं में यह बेहतर होता है। यदि राजनीति में आने के बाद महिलाएं अपना व्यक्तिव प्रभावशाली रखें तो शोषण जैसी कोई बात राजनीति में नहीं है। महिलाओं का नेतृत्व कमजोर नहीं है और देश के विकास में उसकी अहम भूमिका है। – माला सिंह ठाकुर
– समाज मेंं प्राचीनकाल से मौजूद लैंगिक असमानता वाली सोच को खत्म करने पर पहले विचार करना होगा। महिलाओं को लगता है कि राजनीति उनका विषय नहीं है, पर वास्तव में ऐसा नहीं है। जब हम हमारे परिवार को ठीक रख सकते हैं तो देश भी बेहतर संभालेंगे। – ज्योति जैन
– महिलाओं को देश के विकास के लिए अपनी परिधी से बाहर आने की जरूरत है। इसमें कुछ चुनौतियां है, लेकिन यदि उनका सामना कर देश और समाजहित में देश की आधी आबादी आगे आएगी, हर वर्ग को फायदा मिलेगा। पुरुष प्रधान समाज की सोच में बदलाव होगा। -शिवानी जैन
– पत्रिका का महाअभियान काबिल-ए-तारीफ है। अब तक सभी लोग राजनीति की खामिया गिनाते हैं, लेकिन पहली बार कोई मंच है जो बात कर रहा है कि राजनीति को कोसने की बजाए उसे शुद्ध करने पर काम हो, जिससे देश का विकास हो। -विनिता राज, उद्योगपति
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो