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डेढ़ किलोमीटर के हिस्से में 395 मकानों की बाधा, प्रशासन के फेर में उलझा विकास

locationइंदौरPublished: Sep 19, 2021 05:56:27 pm

उम्मीदों के एमआर का ग्रहण कब तक! शहर के बीच के एक बड़े हिस्से के लिए बायपास तक का रास्ता बना घुमावदार

डेढ़ किलोमीटर के हिस्से में 395 मकानों की बाधा, प्रशासन के फेर में उलझा विकास

डेढ़ किलोमीटर के हिस्से में 395 मकानों की बाधा, प्रशासन के फेर में उलझा विकास


इंदौर. एमआर-9 विकल्प था परदेशीपुरा, पाटनीपुरा व आसपास के मध्य इलाके के लोगों के सीधे बायपास तक पहुंचने का लेकिन तीन हिस्सों की बाधाओं ने काम रोक दिया। स्थिति यह है कि करीब डेढ़ किलोमीटर (1.4 किलोमीटर) के हिस्से में 395 बाधक मकानों को लेकर कोई फैसला नहीं हुआ जिसके कारण काम ही आगे नहीं बढ़ पाया।
लोगों की सुविधा के लिए प्रशासन ने मेजर रोड रोड बनाने की योजना पर 1975 में काम शुरू किया था। इसी में एमआर-9 का निर्माण भी शामिल है। खातीपुरा से आइटीआई, न्यू देवास रोड, रिंग रोड़ बर्फानीधाम के समीप से खजराना बायपास तक
दूरी करीब 10 किमी लंबी सड़क का निर्माण होना था। सड़क की चौड़ाई करीब 148 फीट प्रस्तावित है। निर्माण एजेंसी आइडीए थी, आइडीए ने कुछ हिस्से में निर्माण कराया लेकिन एक बड़ा हिस्सा अब भी अधूरा है।
सड़क का कारण विकास का काम भी अधूरा
आइडीए ने जगह मिलने पर आइटीआइ चौराहे से अनूप टॉकीज चौराहे तक का काम तो पूरा कर दिया लेकिन अनूप टॉकीज चौराहे से एबी रोड तक का काम करीब 35 सालों से अटका हुआ है। अब तो यहां काम होने की स्थिति भी नजर नहीं आ रही है। व्यापारी बताते है कि इस हिस्से में शुुरुआती सर्वे में करीब 395 मकान बाधक है। अधिकांश मकान पट्टे की जमीन पर थे लेकिन राजनीतिक हस्तक्षेप के कारण इन्हें हटाया नहीं जा सका। स्थिति यह है कि लगातार मकान इस हिस्से में बन रहे है लेकिन न उन्हें रोका जा रहा है और न ही तोडकर सडक का काम ही पूरा किया जा रहा। सड़क इस तरह की घुमावदार है कि इस छोटे से हिस्से को पूरा करने में वाहन चालक परेशान हो जाते है। इस हिस्से में सडक नहीं बन पा रही है। विकल्प के रूप में मैकेनिक नगर से भमोरी प्लाजा तक की सड़क बनाई गई है लेकिन जानकारी नहीं होने से लोग इस सड़क का इस्तेमाल नहीं कर पाते। स्थिति यह है सड़क पर ही यहां व्यवसाय व गैरेज शुरू हो गए है।
कुछ जगह रास्ता तो साफ तो कुछ जगह बड़ी परेशानी
अनूप टॉकीज से आगे चलने पर शिवशक्ति नगर तक तो रास्ता फिर भी साफ है लेकिन इसके आगे बढऩे पर पड़ी परेशानी है। यहां सघन रहवासी इलाका है, छोटे छोटे मकान बन गए है। अधिकांश मकान पट्टे की जमीन पर बने है, शुरुआत में विकल्प मिलने पर लोग हटने को भी तैयार था लेकिन किसी ने ध्यान ही नहीं दिया। बस्ती व कॉलोनी निकलने के बाद आगे करीब आधा किलोमीटर का हिस्सा बन गया लेकिन बीच के हिस्से के कारण चौडी सड़क का इस्तेमाल ही नहीं हो पा रहा।
खातीपुरा व खजराना इलाके के दो बड़े हिस्से भी अटके
1. एमआर-9 को सांवेर रोड तक बनाया जाना था लेकिन जगह उपलब्ध होने से आइटीआइ से इसका काम शुरू हुआ। आइटीआइ से गौरीनगर, खातीपुरा होते हुए सांवेर रोड तक ले जाने की योजना थी। यहां के करीब ढ़ाई किलोमीटर के हिस्से में एक हजार से ज्यादा निर्माण की बाधाएं है लेकिन प्रशासन ने इस हिस्से के काम को हाथ में ही नहीं लिया। यहां सड़क चौड़ी हो जाती तो फिर लोगों को सांवेर रोड से बायपास जाने का एक बड़ा विकल्प मिल जाता।
2. बर्फानी धाम चौराहे से लेकर बायपास के हिस्से में भी यहीं परेशानी है। यहां भी करीब ढाई से तीन किलोमीटर के हिस्से का काम शुरू ही नहीं हो पाया। बर्फानीधाम चौराहे से बायपास की ओर आधा किलोमीटर तक सड़क बनी है लेकि इस्तेमाल नहीं होने से यहां सड़क पर ही मंडी लग जाती है। आगे खजराना इलाका में करीब 4-5 बडी सघन कॉलोनियों में सैकडों मकान बन गए है, यहां काम आगे बढ़ाने के लिए किसी तरह की तैयारी नहीं है।
पाटनीपुरा से बायपास जाना है तो नहीं है सीधा विकल्प
एमआर-9 नहीं बनने से लोगों को बायपास जाने के लिए बडी परेशानी हो गई है। पाटनीपुरा या श्रमिक क्षेत्र की कॉलोनियों के किसी रहवासी को अगर बायपास जाना है तो सीधा विकल्प नहीं है। एमआर-9 बन जाती तो वे सीधे आसानी से बायपास पहुंच सकते थे लेकिन वर्तमान दौर में उन्होंने विजयनगर चौराहे से स्टार चौराहा होते हुए जाना पढता है। दूसरा विकल्प है पलासिया चौराहा से बंगाली चौराहे होते हुए जाना। ऐसे में समय व ईंधन दोनों का नुकसान होता हैै।

एमआर-9 का प्रस्ताव शासन को भेजा है
मास्टर प्लान के तहत चार प्रमुख सड़कों को पूरा करने का प्रस्ताव राज्य शासन को भेजा था। तीन अन्य सड़कों को मंजूरी मिल गई है लेकिन एमआर-9 का प्रस्ताव अभी अटका हुआ हैै। प्रस्ताव में कुछ संसोधन कर फिर भेजा जा रहा है, मंजूरी होने पर काम शुरू करेंगे।
अभय राजनगांवकर, उपायुक्त नगर निगम।

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