– 9 शाखाओं के रजिस्ट्रेशन कार्ड संभालता है एवजी
– बिना पार्टी को बुलाए ही हो जाती है गाड़ी ट्रासंफर
– बिना पार्टी को बुलाए ही हो जाती है गाड़ी ट्रासंफर
Patrika Sting Video : एवजी की आड़ में अफसर-बाबू कर रहे भ्रष्टाचार, ऐसे होती है रिश्वतखोरी
भूपेन्द्र सिंह @ इंदौर. आरटीओ में किस तरह से अधिकारी और बाबू मिलकर भ्रष्टाचार कर रहे हैं, इसका अंदाजा कोई नहीं लगा सकता। एवजी को आगे कर एजेंटों से सीधी रिश्वत ली जा रही है। इस काम में आरटीओ के अफसरों की मिलीभगत सामने दिखती है। अधिकारियों और बाबू की शह पर एवजी खुद एक तरह से सामांतर आरटीओ चला रहे हैं। पत्रिका एक्सपोज ने स्टिंग कर आरटीओ में हो रही गड़बड़ी और रिश्वतखोरी को उजागर किया है।
एक्सपोज टीम ने कई दिनों तक आरटीओ में निगरानी की तो चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। अधिकारियों ने एवजी विजय और उसके साथियों को पुराने दोपहिया और चार पहिया वाहनों के नाम ट्रांसफर का काम दे रखा है। सभी शाखाओं से रजिस्ट्रेशन कार्ड वो ही लेता है और फिर एजेंटों से रिश्वत लेकर उन्हें ही कार्ड बांटता है। विजय के हाथ में रजिस्ट्रेशन कार्ड की गड्डी होती है जिसमें सैकड़ों कार्ड वो लेकर आरटीओ परिसर में घूमता है। कभी एंजेटों की टेबल पर बैठकर तो कभी कार्यालय में कैमरे की नजर से बचकर किसी कोने में एजेंटों को कार्ड बांटता है। विजय के पास शाखाओं से मिली लिस्ट होती है। एजेंट उसके आसपास मंडराते हैं। लिस्ट देखकर वो गड्डी से कार्ड निकालकर और पैसा लेकर कार्ड एजेंट को दे देता है।
9 शाखाओं के रजिस्ट्रेशन कार्ड संभालता है एवजी एवजी विजय के हाथ में आरटीओ के जिम्मेदारों ने बड़ा कामकाज सौंप रखा है। दो पहिया, चार पहिया और ट्रेक्टर की अलग-अलग सीरिज की करीब ९ शाखाओं के रजिस्ट्रेशन कार्ड उसके हाथ में होते हंै। वो बेखौफ इन शाखाओं मे घूमता रहता है लेकिन कोई रोकटोक नहीं करता है। इससे साफ जाहिर है कि अधिकारियों और बाबू की मिलीभगत के बगैर यह संभव नहीं है। रजिस्ट्रेशन कार्ड की गड्डी जिसमे सैकड़ों कार्ड होते हो उसे विजय लेकर घूमता है, इससे भी साफ जाहिर है कि अधिकारियों के कहने पर ही सबकुछ किया जा रहा है। इतनी बड़ी संख्या में कार्ड उसके हाथ में कैसे आते हैं, यह बड़ा सवाल है। लेकिन हद तो इस बात की है कि आरटीओ इस बात से अनजान है।
बिना पार्टी को बुलाए ही हो जाती है गाड़ी ट्रासंफर एवजी विजय जिन रजिस्ट्रेशन कार्ड का काम देखता है ये वो गाडि़यां होती है जो नियमों को ताक पर रखकर रजिस्टर्ड होती है। दरअसल दो पहिया, चार पहिया और ट्रेक्टर गाडि़यों के नाम ट्रांसफर के लिए खरीददार और बेचवाल का आरटीओ में उपस्थित होना जरूरी है लेकिन बिना पक्षकार आए ही गाडि़यां अधिकारी ट्रांसफर कर रहे है। हर एक गाडि़यों के लिए एजेंटों से मोटी रकम ली जाती है। इन्हीं गाडि़यों का लेनदेन विजय करता है। इस गड़बड़ी में शाखाओं के बाबू और आर्डर करने वाले एआरटीओ की भूमिका साफ नजर आती है।
खुद अकेला नहीं अमन, भैय्याजी और रमाकांत लेते हैं फाइलें इस काम में विजय ही अकेला नहीं है। उसके साथ तीन एवजी और शामिल है। बिना पक्षकारों वाली फाइलें एजेंटों से लाइसेंस शाखा के ऊपर बने बंद कमरे में ली जाती है। यहां से फाइलें संबंधित शाखाओं में बाबूओं के एवजियों के पास जाती है। बाबूओं की साइन के बाद एआरटीओ के पास ऑर्डर के लिए जाती है, फिर यहीं फाइलें शाखाओं में आती है। यहां पर कार्ड बनते हैं। कार्ड बनने के बाद विजय सभी शाखाओं में जाकर कार्ड लेता है, फिर एजेंटों से पैसा लेकर उन्हें कार्ड देता है। बाबूओं के एवजी इन चारों से फाइलें और कार्ड का लेनदेन करते हैं। करीब १० से ज्यादा एवजी इस काम को कर रहे हैं।
यह है रिश्वतखोरी का गणित दोपहिया ट्रांसफर की सरकारी फीस को छोडक़र विजय एजेंटों से 500 रुपए कार्ड के, 200 रुपए फायनेंस उतरने के वहीं 200 रुपए फायनेंस चढऩे के लेता है। केअर ऑफ पते के भी 200 रुपए लिए जाते हैं, यानि एक दो पहिया वाहन ट्रांसफर के 500 रुपए से 1100 रुपए रिश्वत के रूप में ले लिए जाते हैं। इसी तरह चार पहिया और ट्रेक्टर के 1000 रुपए से 1600 रुपए तक वसूल रहे हैं। करीब रोजाना इस तरह के 100 से अधिक रजिस्ट्रेशन कार्ड आरटीओ से जारी किए जा रहे हैं।
– इसकी मुझे जानकारी नहीं है। आरटीओ कार्यालय के अधिकारियों और बाबूओं से इस संबंध में जानकारी लूंगा। दोषी पाए जाने वालों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। जितेंद्र सिंह रघुवंशी, आरटीओ