कोरोना काल शुरू होते ही जिला प्रशासन ने सभी पटवारियों की ड्यूटी अलग-अलग क्षेत्रों में लगा दी थी। २४ मार्च के बाद से उन्हें कोई छुट्टी नहीं मिली। इस बीच मुख्यमंत्री ने नामांतरण व बटांकन के प्रकरणों को निपटाने के लिए अभियान भी चला दिया। सभी को समयसीमा दी गई, ताकि वे तुरत-फुरत मामलों का निराकरण करें। कोरोना की ड्यूटी के साथ बड़े पैमाने पर ये काम किया गया।
अब खेतों में फसल खड़ी है, जिसकी गिरदावरी यानी खेत-खेत जाकर किसान ने क्या बोया है, उसको सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज करना है। इसको देखते हुए पटवारियों के हाथ-पैर फूले हुए हैं। वे चाहते हैं कि जब तक गिरदावरी का काम खत्म नहीं हो जाता, तब तक उन्हें कोरोना ड्यूटी से मुक्त कर दिया जाए। इसको लेकर सभी पटवारी लामबद्ध होकर रवींद्र नाट्यगृह में मिले थे।
जमीन के नामांतरण और बटांकन को लेकर सरकार ने अभियान चलाने के निर्देश दे रखे हैं, तो अब फसल गिरदावरी भी करना होगी। ये सब तो ठीक प्रशासन ने कोरोना में चार माह से ड्यूटी लगा रखी है। परेशान होकर कलेक्टर से मिलने पहुंचे। चर्चा के दौरान पटवारी संघ के अखिलेश पाठक ने बात रखते हुए कहा कि गिरदावरी के साथ ये काम भी करना पड़ता है। बहुत दिक्कत आ रही है।
इतना सुनते ही कलेक्टर मनीष सिंह सारा माजरा भांप गए। उन्हें समझ आ गया कि पटवारी क्या चाहते हैं। उन्होंने तुरंत जवाब दिया कि तुम लोग कर सकते हो, इसलिए काम दिया है। तुम मेरे मजबूत हैंड हो, तुमको सबकुछ करना है। इतना बोलकर वे चल दिए। सारे पटवारी फिर से काम पर लग गए।