– नरसिंह राव के समय कांग्रेस सरकार ने निर्णय लिया था पा ५० फीसदी से अधिक के आरक्षण किसी भी स्थिति मे नहीं दिया जा सकता। सरकार को इस पर विचार करना था। सुप्रीम कोर्ट की भावनाओं के अनुसार भविष्य का निर्णय लिया जा सकता।
प्रमोद द्विवेदी ,एडवोकेट
– गैर संवेधानिक कार्य है। संविधान की मूल भवना से छेड़छाड़ है। भारतीय संविधान सामाजिक आधार पर आरक्षण की बात करता है। दूसरे नजरिये से देखे तो ८ लाख रुपए साल पाने वाला गरीब कैसे होगा। जो वास्तविक गरीब है वह तो बाहर है।
चिनम्य मिश्रा, सामाजिक कार्यकर्ता
करणी सेना तीन वर्षो से आरक्षण की लड़ाई लड़ रही थी। हम लंबे समय से जातिगत के बजाए आर्थिक आधार पर आरक्षण की मांग कर रहे थे। सर्वण समाज में जो आर्थिक रूप से कमजोर है, उसका उत्थान होगा। निर्णय का स्वागत करते है।
ऋषिराज सिसोदिया, जिला अध्यक्ष करणी सेना
स्वर्ण समाज को सरकार 10 प्रतिशत आरक्षण दे रही है। उससे आर्थिक रुप से कमजोर समाज के लोगों की स्थिति पूरी नहीं हो सकती है। अन्य समाजों को जिस प्रकार से आरक्षण दिया जा रहा है, उस प्रकार से ही आर्थिक रूप से कमजोर परिवार को आरक्षण मिलना चाहिए।
रवींद्र सिंह गौड़, एडवोकेट
मेरा मानना है कि देश मे आरक्षण की व्यवस्था खत्म होना चाहिए। इसी तरह राजनीति फायदे के लिए आरक्षण दिया जाते रहे तो योग्य विद्यार्थियों के अवसर कम होते जाएंगे। योग्यता के अनुसार बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
प्रतिभा खंडेलवाल, सामाजिक कार्यकर्ता
राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना ने सवर्ण आर्थिक आरक्षण के लिए पूरे देश में लगातार रैलियां निकाली। यह इसी मेहनत का परिणाम है। हम सरकार को धन्यवाद देते है । 10 प्रतिशत कम है और अधिक किया जाना चाहिए।
मंजीत कीर्तिराज सिंह, श्री राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना