पॉश कॉलोनी साकेत नगर में सेवानिवृत्त अफसर दंपती रहते हैं। उनके दो बेटे हैं, जो अमरीका में रह रहे हैं। माता-पिता की चिंता रहती है, लेकिन आधुनिक कैमरों ने उनकी परेशानी कम कर दी है। बच्चों ने घर के हर कोने में कैमरे लगा दिए है, जिन्हें वाईफाई से जोड़ा है। अमरीका में बैठे-बैठे वे मोबाइल के जरिए बुजुर्ग माता-पिता की निगरानी करते हैं। थोड़ी भी देर नजर नहीं आए तो पास में रहने वाले रिश्तेदार अथवा नौकर को फोन कर सचेत कर देते हैं। साइबर एक्सपर्ट चातक वाजपेयी के मुताबिक, कैमरे व इंटरनेट ने सात समुंदर पार की दूरी कम कर दी है।
चाइल्ड मॉनिटरिंग ऐप छोटी उम्र में बच्चे मोबाइल व इंटरनेट का उपयोग करने लगे हैं। ऐसी स्थिति में अनजाने में लिंक क्लिक करने से एडल्ट साइट खुल जाती है। बच्चे परिवार से छिपाकर ऑनलाइन गेम्स खेलने लगते हैं, जो परेशानी का कारण बनते हैं। वाजपेयी के मुताबिक, ऐसे में पालक मोबाइल के जरिए बच्चों की गतिविधियों पर नजर रख सकते हैं। बच्चा कहां जा रहा, किससे बात कर रहा, चैट किससे हो रही, यहीं नहीं लोकेशन भी पता कर सकते हैं। नॉर्टन फैमिली, गूगल फैमिली लिंक का उपयोग कर सकते हैं।
होम ऑटोमेशन अथवा स्मार्ट होम
सिटीजन कॉप, मोबाइल पर है आपकी सुरक्षा
तय सीमा के बाहर गाड़ी गई तो बंद हो जाएगा इंजन
मोबाइल आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस: इसमें हम मोबाइल को आवाज से कंट्रोल कर सकते हैं। गूगल असिस्टेंट, कोरटाना, सिरी व एलेक्सा इसके प्रमुख ऐप हैं।
– बिना किसी बड़े इनवेस्टमेंट के जरिए छोटे व्यापार की शुरुआत में भी मोबाइल मददगार बन सकता है। शुरुआत के लिए गूगल बिजनेस, वाट्सऐप बिजनेस व अमेजन बिजनेस मुख्य साधन बन सकते हैं।
एक समय जब टैक्सी कैब की शुरुआत हुई तो इसकी बुकिंग एप्लीकेशन के जरिए मोबाइल से होती थी। उबेर, ओला ऐप के जरिए कैब बुक होती थी और यह परिवहन का सुरक्षित साधन बन गया। अब ट्रैफिक की परेशानियों को देखते हुए कार शेयरिंग की ओर लोग आकर्षित हुए हैं। एक ही रूट पर अलग-अलग वाहन से जाने के बजाय कार शेयरिंग करते हैं। किराए से वाहन मिल रहे हैं। जीप, कार व टूरो ऐप का इसके लिए इस्तेमाल हो रहा है।