मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय भवन की इंदौर खंडपीठ ने धार भोजशाला मामले में केंद्र सरकार, पुरातत्व विभाग, राज्य सरकार, मौलाना कलामुद्दीन वेलफेयर सोसाइटी और महाराजा भोज सेवा संस्थान को जवाब दाखिल करने के लिए और समय दिया है। पहले, उन्हें गुरुवार तक अपना जवाब जमा करना था। जब सुनवाई हुई, तो उत्तरदाताओं ने अपने जवाब प्रस्तुत करने के लिए और समय का अनुरोध किया। मामले में गुरुवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई केंद्र सरकार, पुरातत्व विभाग, मौलाना कलामुद्दीन वेलफेयर सोसाइटी, महाराजा भोज सेवा संस्थान और राज्य सरकार को याचिका का जवाब देना था, लेकिन किसी भी पक्ष ने जवाब नहीं दिया।
धार भोजशाला मामले में चार जनहित याचिकाएं पहले से ही उच्च न्यायालय में विचाराधीन थीं। मई के दूसरे सप्ताह में हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस की ओर से इस मामले में नई याचिका दायर की गई थी। धार भोजशाला को हिंदुओं के लिए पवित्र स्थान बताते हुए मांग की कि मुसलमानों को भोजशाला में नमाज अदा करने से तुरंत रोका जाए और हिंदुओं को नियमित पूजा का अधिकार दिया जाए।
हाईकोर्ट की डबल बेंच ने 11 मई 2022 को याचिका पर सुनवाई करते हुए सभी पक्षों को नोटिस जारी कर उनसे जवाब मांगा था। गुरुवार को किसी भी प्रतिवादी ने अपना जवाब प्रस्तुत नहीं किया। एक याचिकाकर्ता ने धार भोजशाला मामले में 2016 से चल रही अपनी जनहित याचिका को खुद वापस ले लिया। याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता मनीष यादव ने कहा कि धार भोजशाला को लेकर हाईकोर्ट में चल रही सभी याचिकाओं में मामला लगभग एक जैसा है. "इसलिए, हमने अपनी याचिका वापस ले ली है,"
उन्होंने आगे कहा कि भोजशाला विवाद दशकों पुराना है। हिंदुओं का कहना है कि यह स्थान देवी सरस्वती का मंदिर है। सदियों पहले मुसलमानों ने इसकी पवित्रता को तोड़ा और यहां मौलाना कमालुद्दीन का मकबरा बनवाया। भोजशाला में वाग्देवी की प्रतिमा को अंग्रेज लंदन ले गए है। फिलहाल प्रशासन ने अस्थाई व्यवस्था की है कि हर मंगलवार को हिंदू भोजशाला में पूजा करेंगे और शुक्रवार को मुसलमान नमाज अदा करेंगे। इसके अलावा याचिका में भोजशाला परिसर की खुदाई व वीडियोग्राफी कराने की भी मांग की गई है।