जिस माता, पिता, दादा, दादी, प्रपितामह, मातामही एवं अन्य बुजुर्गों के लाड, प्यार, श्रम से कमाएं धन एवं इज्जत के सहारे आप सुखपूर्वक रहते हैं, और आज जब उनका शरीर पांच तत्व में मिल गया है तो आपका यह परम कर्तव्य बनता है कि अपने पितरों के लिए कम से कम और कुछ नहीं तो उनका तर्पण कर दें।
अमवस्या तिथि का श्राद्ध परिवार के उन सदस्यों के लिए किया जाता है जिनकी मृत्यु अमावस्या तिथि, पूर्णिमा तिथि या चतुर्थी तिथि पर हुई हो। जो लोग अन्य तिथियों में अपने पूर्वजों का तर्पण नहीं करवा पाते है वे भी अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए इसी दिन श्राद्ध करते है। इसके अलावा यदि पित्रों की मृत्यु तिथि याद नहीं है तो भी श्राद्ध इसी दिन किया जा सकता है। इसी वजह से इसे सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या कहा जाता है।
इसके अतिरिक्त जिन व्यक्तियों की मृत्यु पूर्णिमा तिथि को होती है उनका श्राद्ध भी महालया श्राद्ध के दिन किया जाता है। लेकिन भाद्रपद पूर्णिमा से इसका कोई सम्बन्ध नहीं है। हालाँकि भाद्रपद पूर्णिमा श्राद्ध पितृ पक्ष के एक दिन पहले आता है लेकिन यह पितृ पक्ष का हिस्सा नहीं है। सामान्य तौर पर पितृ पक्ष भाद्रपद पूर्णिमा श्राद्ध के अगले दिन से प्रारम्भ होते है।
सर्वपितृ अमावस्या के मुहूर्त और तिथि
वर्ष 2017 में सर्वपितृ अमावस्या 19 सितम्बर 2017, मंगलवार के दिन मनाई जाएगी।
श्राद्ध करने का शुभ समय :
कुतुप मुहूर्त = 11:56 से 12:44
अवधि = 48 मिनट
रौहिण मुहूर्त = 12:44 से 13:32
अवधि = 48 मिनट
अपराह्न काल = 13:32 से 15:57
अवधि = 2 घंटे 24 मिनट
अमावस्या 19 सितम्बर 2017, मंगलवार 11:52 से प्रारम्भ होकर अगले दिन 20 सितम्बर 2017, बुधवार 10:59 पर खत्म होगी।
इन नामों से भी लोग जानते हैं –
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