इंदौर. मप्र लोक सेवा आयोग की असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती परीक्षा की मेरिट जारी होने के बाद से एक बार फिर महिला आरक्षण के कारण ज्यादा पुरुषों का चयन होने के मामले सामने आए है। इसे मु²ा बनाकर महिला अभ्यर्थियों ने भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगाने की मांग की थी। चयन प्रक्रिया अंतिम दौर में पहुंचने पर हताश होकर उन्होंने महिला आरक्षण को ही खत्म करने की मांग कर दी।
कई महिला अभ्यर्थियों ने मुख्यमंत्री व मानवाधिकार आयोग को ई-मेल भेजकर भर्ती परीक्षाओं में महिला आरक्षण खत्म करने के लिए लिखा है। इससे पहले भी महिला आरक्षण के कारण महिला अभ्यर्थियों को हो रहे नुकसान सामने आ चुके है। रतलाम की एक महिला अभ्यर्थी के मामले में राज्य महिला आयोग ने भी महिला आरक्षण के नियम को गलत ठहराया था। इसके बावजूद शासन ने इस पर विचार नहीं किया। महिला अभ्यर्थियों का कहना है कि आरक्षण की आड़ में उनका नुकसान हो रहा है। शिकायत के साथ उन्होंने अलग-अलग प्रतियोगी व भर्ती परीक्षा में पुरुष व महिलाओं के कटऑफ की जानकारी भी भेजी। इसमें कई पुरुषों का चयन महिलाओं से कम अंक हासिल करने के बावजूद हुआ है। महिला अभ्यर्थियों के अनुसार इससे ज्यादा मौके तो उन्हें आरक्षण खत्म होने के बाद मिल जाएंगे।
२१ साल से हो रहा भेदभाव शिकायती पत्र में अभ्यर्थियों ने बताया कि उनके साथ २१ साल से भेदभाव हो रहा है। 1997 में महिला आरक्षण लागू हूआ। 2007 में अभ्यर्थी सुनीता जैन ने इसके खिलाफ मोर्चा खोला। तब पहली बार महिलाओं के साथ हो रहा भेद-भाव उजागर हुआ। महिला आयोग ने भी मामले पर संज्ञान लेते हुए माना था कि आरक्षण की नीतियां महिलाओ के मौलिक अधिकारों का हनन कर रही है।