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जीपीएस से होगी प्लॉट मार्किंग

locationइंदौरPublished: Jul 08, 2019 05:42:50 pm

सुपर कॉरिडोर पर अब हो सकेगा भूखंडों का आवंटन

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जीपीएस से होगी प्लॉट मार्किंग

इंदौर. प्राधिकरण की खाली जमीनों को लेकर अब आईडीए चेत रहा है। योजनाओं में धड़ल्ले से एक के बाद एक कब्जे होते चले जा रहे हैं। इससे बचने के लिए इन जमीनों की सैटेलाइट के जरिए मार्किंग करवाई जाएगी। इससे जमीनों की स्थिति इन पर कच्चे-पक्के निर्माणों की जानकारी और खाली जमीनों की सही स्थिति आईडीए को मिल जाएगी। इसके आधार पर योजनाओं का विकास कार्य करवाया जाएगा।

सुपर कॉरिडोर, राऊ, बायपास, खजराना सहित कई अन्य स्थानों पर आईडीए की योजनाएं हैं। आधा दर्जन से अधिक योजनाओं में कहीं पूरी जमीनें मिल पाई हैं, कहीं नहीं। जहां जमीनें नहीं मिल पाईं, वहां विकास कार्य नहीं हो पा रहे और खाली जमीनों पर अतिक्रमण होते चले जा रहे हैं। योजनाओं में निजी जमीनों के साथ सरकारी जमीन भी है, जिस पर भी कब्जा होने लगा है। प्राधिकरण ने कई स्थानों पर अतिक्रमण हटाने के लिए प्रशासन को भी लिखा, लेकिन इसे रोकने में प्रशासन भी नाकाम साबित हुआ।

हालांकि अब आईडीए इन सभी योजनाओं को जीपीएस सर्वे करवाने की तैयारी कर रहा है, ताकि इनकी मैदानी हकीकत दर्ज हो सके। इसके लिए करीब 30 लाख रुपए खर्च किए जाएंगे। इस काम में योजनाओं के खाली प्लॉटों की मार्किंग तो की ही जाएगी, साथ ही वहां जो निर्माण हो चुके हैं, उनकी भी मार्किंग होगी। इससे यह भी पता लगेगा कि आईडीए ने जो आवंटन किए थे, उसमें से कितनों पर निर्माण हो चुका है और कितनी जमीन पर अवैध निर्माण हैं।

प्राधिकरण जमीन पर नपती के लिए जीपीएस का सहारा लेगा। जीपीएस में गूगल मैप के जरिए भूखंडों की सीमा रेखा खींची जाएगी। पेड़, घर, सडक़, ड्रेनेज, पानी की लाइन आदि हर छोटी से बड़ी चीज की मार्किंग की जाएगी।

बड़ी कॉलोनी वाली स्कीम हो सकती हैं खत्म

इस काम के बाद जहां छोटे-छोटे कब्जे हैं, वहां रिमूवल की कार्रवाई करने के लिए ठोस योजना बनाई जा सकेगी। वहीं जिन योजनाओं में बड़ी-बड़ी कॉलोनियां कट चुकी हैं और जो योजनाएं अब धरातल पर लाई ही नहीं जा सकती, उन योजनाओं को खत्म करने या बस चुकी कॉलोनियों से विकास शुल्क लेकर कंपाउंडिंग की जा सकती है। हालांकि आईडीए अफसरों का कहना है कि जीपीएस के जरिए योजनाओं का खाका बनने के बाद आगे की रणनीति तय होगी।

खाली जमीनों पर होगा विकास

आईडीए की कई ऐसी योजनाएं हैं, जिनमें विकास कार्य तो शुरू किए गए, लेकिन अतिक्रमणों के कारण पूरे नहीं हो सके। इन योजनाओं में आंतरिक विकास कार्यों के लिए अब खाली जमीनों की मार्किंग की जाना है, जो अब तक केवल कागजों या नक्शों में ही हैं। इसके लिए जीपीएस की मदद इसलिए ली जाएगी कि मार्किंग में किसी तरह की हेरफेर न होने पाए।

गूगल मैप में जमीनों के खसरों को मिलाकर डाटा तैयार किया जाएगा। इसकी सहायता से सामने आ सकेगा कि कहां-कितनी जमीन खाली है। इसके आधार पर आईडीए पूरी योजना का एक साथ विकास न करके अलग-अलग टुकड़ों में भी कर सकेगा और भूखंड बेच सकेगा।

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