कहना था कि विधिवत कार्रवाई की जा रही है। इस पर सामने से जवाब था कि यहां पर कोई काम नहीं होगा, जो भी होगा प्रशासन से बात करने के बाद होगा। इस पर संचालकों का कहना था कि उनके ही निर्देश पर हो रहा है। इस पर भी वे नहीं माने और काम बंद करने को कहा। साथ में चेतावनी भी दे डाली कि काम नहीं रोका तो आप लोगों को हवालात में बंद कर दिया जाएगा। इस पर संचालकों ने एसडीएम अंशुल खरे और बाद में अपर कलेक्टर अभय बेड़ेकर को जानकारी दी।
इस पर बेड़ेकर ने एएसपी राजेश रघुवंशी व टीआई दिनेश वर्मा को साफ कर दिया कि वे संस्था द्वारा दिए जा रहे कब्जों में अड़चन नहीं डालें। पुलिस अफसरों का कहना था कि सहकारिता विभाग का स्टे है, जिस पर बेड़ेकर ने कॉपी मांग ली, लेकिन वे दिखा नहीं पाए। पुलिस के रुख को देख घबराए संचालकों ने कलेक्टर मनीष सिंह से बात की। सिंह ने पुलिस कमिश्नर हरिनारायण चारी मिश्र को घटनाक्रम की जानकारी दी। बताते हैं कि मिश्र ने अधीनस्थों को समझाया, तब जाकर अब सदस्यों को प्लॉट देने का काम शुरू हो सका।
यहां भी हुए यही हाल महालक्ष्मी नगर से पहले अयोध्यापुरी को लेकर भी ऐसा ही कांड हो चुका है। सदस्यों को प्लॉट पर कब्जा दिलाया जा रहा था कि एलआईजी थाने पर पुलिस ने एक फर्जी शिकायत के बाद देवी अहिल्या गृह निर्माण संस्था के अध्यक्ष विमल अजमेरा को बुला लिया। दो घंटे तक बैठाकर उनके साथ अपराधियों जैसा व्यवहार किया।
मुख्यमंत्री से करेंगे बात
सबसे ज्यादा विवादित संस्था देवी अहिल्या गृह निर्माण संस्था के सदस्यों को तीन दशक बाद न्याय मिल रहा है। सारी कार्रवाई मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के निर्देश पर कलेक्टर मनीष सिंह की निगरानी में चल रही है। इसके बावजूद पुलिस का रुख ठीक नहीं है। इसको लेकर संस्था के संचालक व पीडि़त अब मुख्यमंत्री चौहान से मुलाकात करेंगे। इंदौर आगमन पर उन्हें सारे घटनाक्रम की जानकारी दी जाएगी। जिसमें संबंधित पुलिस अधिकारियों की भूमिका पर भी सवाल खड़े होंगे। पूर्व में भी जमीन के जालसाज ऐसे ही मुहिम को रुकवाते थे और बाद में अभियान ठंडे बस्ते में चला जाता था।