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प्रधानमंत्री ने पूछा- आपने बाल रामायण लिखी, इतना सब कैसे कर लेते हैं? इंदौर के अवि बोले- सब रामजी की कृपा…

locationइंदौरPublished: Jan 25, 2022 06:21:38 pm

उपलब्धि – शहर के दो बच्चों को मिला प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार, पीएम ने वर्चुअल कार्यक्रम में अवि शर्मा और पलक शर्मा को किया पुरस्कृत

प्रधानमंत्री ने पूछा- आपने बाल रामायण लिखी, इतना सब कैसे कर लेते हैं? इंदौर के अवि बोले- सब रामजी की कृपा...

प्रधानमंत्री ने पूछा- आपने बाल रामायण लिखी, इतना सब कैसे कर लेते हैं? इंदौर के अवि बोले- सब रामजी की कृपा…

इंदौर. इंदौर के लिए गौरव की बात है। शहर के दो प्रतिभवान बच्चों ने प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार प्राप्त किया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वर्चुअल कार्यक्रम में मोटिवेशनल स्पीकर अवि शर्मा को वर्ष 2022 के लिये शैक्षणिक उपलब्धि की श्रेणी में और पलक शर्मा को खेल श्रेणी में वर्ष 2021 के लिए पुरस्कृत किया। समारोह में प्रधानमंत्री अवि की उपलब्धि व भगवान श्रीराम के प्रति उनकी अगाध श्रद्धा से बहुत प्रभावित हुए। उन्होंने बालक अवि से पूछा, आपने बालमुखी रामायण की छंदों में रचना की। बच्चों को प्रेरणा दे रहे हैं। इतना सारा काम आप कैसे कर पाते हैं। बचपन बचा है या वह भी चला गया। अवि ने सहज भाव से कहा, सर सब रामजी की कृपा है।
वीडियो कॉन्फ्रेसिंग कलेक्टोरेट के एनआइसी कक्ष में हुई। इस दौरान इंदौर कलेक्टर मनीष सिंह, अवि व पलक के माता-पिता मौजूद थे। पुरस्कार स्वरूप विजेताओं को पदक, एक लाख रुपए का नकद पुरस्कार और प्रमाण पत्र प्रदान किए गए। पहली बार ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हुए विजेताओं को डिजिटल प्रमाणपत्र प्रदान किए गए। बता दें, भारत सरकार नवाचार, सामाजिक सेवा, शैक्षणिक योग्यता, खेल, कला, संस्कृति और बहादुरी जैसी छह श्रेणियों में बच्चों को उनकी असाधारण उपलब्धि के लिए यह पुरस्कार प्रदान करती है। इंदौर के अवि शर्मा ने 12 वर्ष की उम्र में बालमुखी रामायण की रचना की है। वे बेहतरीन मोटिवेशनल स्पीकर भी हैं। वहीं पलक शर्मा श्रेष्ठ गोताखोर हैं। कार्यक्रम दिल्ली से आयोजित किया गया। इस दौरान महिला बाल विकास मंत्री स्मृति इरानी भी मौजूद रहीं।
बच्चे अपेक्षाओं से प्रेरणा लें दबाव नहीं
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, मध्यप्रदेश की भूमि का असर है, यहां प्रतिभाएं बाल्यकाल से ही निखरती हैं। बड़े काम करने के लिये उम्र छोटी नहीं होती है। आजादी के 75वें वर्ष में यह क्षण बच्चों के लिये हमेशा यादगार रहेगा। उन्होंने कहा, पुरस्कार से समाज की अपेक्षाएं भी इन बच्चों के प्रति बढ़ी हैं। बच्चे अपेक्षाओं से दबाव नहीं प्रेरणा लें।
प्रधानमंत्री – अवि संवाद
प्रधानमंत्री मोदी ने अवि से संवाद भी किया। पीएम द्वारा पूछे गए सवालों का अवि ने बेबाकी से जवाब दिया। दोनों के बीच कुछ इस तरह बातचीत हुई- सवाल – आप रामायण में डूब गए, लॉकडाउन का उपयोग किया, रामायण का वह कौन सा चरित्र है जो बहुत प्रभावी लगा? जिसके प्रति आपकी श्रद्धा है।
जवाब – मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम। एक सामान्य इंसान को आजकल के जीवन जीने के लिए जिन आदर्शों की जरूरत होती है, एक आदर्श इंसान कैसा होता है, वह राम ने त्रेता युग में सबको बता दिया था। वे सबको साथ लेकर चलते थे। कितना धैर्य रखते थे। सबका आदर करते थे। यह सब बातें उनसे सीखने को मिलती है।
सवाल – आप रामायण-रामायण करते हैं तो घर वाले परेशान हो जाते होंगे?
जवाब – नहीं सर, मेरे माता-पिता ही मेरे आदर्श हैं। मैंने इन्हीं से यह संस्कार लिए हैं। श्रीमद् भगवतगीता में कहा गया है, जब कोई आदत बचपन से ही विकसित कर लेते हैं तो यह जीवनभर रहती है।
सवाल – वकील जिस तरह कोर्ट में कानून की धाराओं से लड़ाई लड़ते हैं, क्या आप घर में भी शास्त्रों की बातों का उदाहरण देते हुए श्लोकों से तर्क करते हैं?
जवाब – नहीं, मैं शास्त्रों का उपयोग जरूर करता हूं, लेकिन बच्चों को सिखाने में। संस्कार संस्कृति मिशन से बताता हूं, हमारा कल्चर कितना ग्लोरियस है। कितना रिच है। हम दुनिया से कितने आगे हैं।
सवाल – क्या प्रदेश के पानी में ही कोई विशेषता है, जो इस तरह के बच्चे तैयार होते हैं?

अवि – जी हां सर, मालव माटी इतनी सुंदर रही है, इसने इतने बड़े-बड़े लोग दिए, देवी अहिल्या माता व लता मंगेशकर जैसे।
इस सवाल के बाद प्रधानमंत्री ने एक किस्सा सुनाते हुए कहा, कई दिन पहले की बात है। उमा भारती गुजरात में एक व्याख्यान देने आई थीं। उन्होंने भारतीय संस्कृति व संस्कृत के श्लोकों को जिस तरह से सुनाया। और आज अवि को देख कर लगा प्रदेश की माटी में ही कुछ एेसा है, जहां बचपन से ही विद्वान तैयार हो जाते हैं।

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