जमशेदपुर के एक गांव में बेटियों को बढ़ावा देने के लिए की गई अनूठी पहल, नेम-प्लेट पर घर के मुखिया का नहीं बेटियों के नाम जा रहे हैं लिखे।
जमशेदपुर से 26 किलोमीटर दूर पोटका प्रखंड की जुड़ी पंचायत के तिरिंग गांव के सभी घर अब बेटियों के नाम से पहचाने जाएंगे। इन घरों में परिवार के मुखिया के बजाय उस परिवार की बेटी के नाम की पट्टिका लगाई गई।
तीरिंग गांव, झारखंड का ऐसा पहला गांव है, जहां हर घर के बाहर बेटियों के नाम वाली नीली-पीली नेम-प्लेट लगाई गई। लगभग 170 परिवारों वाले इस गांव में अविवाहित बेटियों वाले घरों में पीले रंग की पट्टी पर नीले व आसमानी रंग से बेटी का नाम लिखा गया है। नेमप्लेट में बच्चियों के साथ उनकी माताओं का भी नाम लिखा गया है।
नेम-प्लेट के इन रंगों का भी खास अर्थ है। पीला रंग जहां नई सुबह से जुड़ा हुआ है वहीं नीला आसमान की ऊंचाई से। आपको बता दें कि 2011 की जनगणना के अनुसार इस गांव में एक हजार बेटों पर केवल 786 बेटियां ही हैं। यही नहीं यहां की अधिकतर महिलाएं निरक्षर हैं। मेरी बेटी मेरी पहचान अभियान के तहत ये पहल की गई है।