8 दिसंबर 2018 को खजराना पुलिस ने अवैध शराब का ट्रक पकड़कर जमकर वाहवाही लूटी थी। दावा किया गया था कि पकड़ी गई शराब 1 करोड़ ४५ लाख रुपए की थी, जो गुजरात जाने वाली थी। मामले में पुलिस ने कुछ आरोपियों को भी गिरफ्तार किया था, जिसकी जमानत को लेकर हाईकोर्ट में याचिका लगी थी। 7 अगस्त 2019 को आरोपी हेमसिंह को हाईकोर्ट ने जमानत दे दी। जमानत के साथ कोर्ट ने सख्त कार्रवाई के निर्देश भी जारी किए।
इस पर शासकीय अधिवक्ता संदीप मेहरा ने डीजीपी, आईजी और एसपी को पत्र जारी कर दिया है। कहा गया कि कोर्ट के मुताबिक प्रकरण में गंभीर लापरवाही अनुसंधान में की गई है, जिसका फायदा आरोपी को मिला है। अनुसंधान अधिकारी ने 1 करोड़ 45 लाख की अवैध शराब जब्त की, जिसमें जब्त वाहन के मालिक दिनेश यादव को आरोपी नहीं बनाया गया है।
केस डायरी में लगे दस्तावेज भी पूर्व तिथि व पूर्व का समय उल्लेखित कर तैयार किए गए हैं। वाहन मालिक को मात्र किरायानामा लेख के आधार पर प्रकरण में आरोपी नहीं बनाया गया है, जबकि आबकारी अधिनियम व एनडीपीएस एक्ट के प्रकरण में वाहन मालिक को भी आरोपी बनाया जाना आवश्यक है। अनुसंधान अधिकारी द्वारा उसे छोड़ा गया है, जो गंभीर लापरवाही का घोतक है।
ये भी है गंभीर गड़बड़ी
कोर्ट ने आरोपी हेमसिंह के गिरफ्तारी दिनांक व उसके धारा 27 के मेमोरेंडम में दर्शाई तिथि व समय पर भी आश्चर्य व्यक्त किया है। अनुसंधान अधिकारी ने 25 अप्रैल को ट्रक मालिक दिनेश यादव को एक पत्र लिखा है और उसे 4 जून को वाहन आरजे 52-जीए 3178 के सभी दस्तावेज लेकर खजराना थाने पर उपस्थित होने के लिए कहा।
आश्चर्य की बात है कि उसमें आरोपी लखनसिंह व हेमसिंह की गिरफ्तारी का हवाला दिया गया, जबकि दोनों 6 मई व 21 मई को गिरफ्तार किए गए, तो फिर 25 अप्रैल के पत्र में उनकी गिरफ्तारी का उल्लेख दर्शाता है कि दस्तावेज बाद में तैयार किए गए हैं।
इन्हें माना गया दोषी
गड़बड़ी व कूटरचित दस्तावेज तैयार करने के अपराध में कोर्ट ने टीआई पीएस ठाकुर, एसआई शिव कुमार मिश्रा को दोषी माना। उनके खिलाफ तथ्यों के विषय में जांच कर रिपोर्ट 18 अक्टूबर के पहले कोर्ट में पेश करने को कहा। मेहरा ने कहा कि नहीं करने पर कोर्ट द्वारा यदि कोई विपरीत आदेश पारित किया जाता है तो उसकी जवाबदारी अधिकारी की होगी। साथ ही जिला अभियोजन अधिकारी के पास जाकर स्पष्टीकरण पेश करे।