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ताई के जरिए गोपी ने फंसाया ऐसा पेंच कि उलझी नगर अध्यक्ष की गुत्थी

locationइंदौरPublished: Dec 07, 2019 10:38:52 am

Submitted by:

Mohit Panchal

वाह उस्ताद वाह… निगम चुनाव तक बने रहना चाहते हैं अध्यक्ष

ताई के जरिए गोपी ने फंसाया ऐसा पेंच कि उलझी नगर अध्यक्ष की गुत्थी

ताई के जरिए गोपी ने फंसाया ऐसा पेंच कि उलझी नगर अध्यक्ष की गुत्थी

गोपी नीय प्लान उजागर, ताई के जरिये फंसाया पेंच

इंदौर। भाजपा में रायशुमारी के बावजूद २२ जिला अध्यक्षों की घोषणा नहीं हो पाई, जिसमें इंदौर नगर और जिला भी शामिल है। यहां तो दिग्गज नेताओं की वजह से पेंच फंस गया है। मौजूदा नगर अध्यक्ष गोपी नेमा भी नहीं चाहते थे कि नगर निगम चुनाव तक उन्हें हटाया जाए। इस खेल में ताई ने खुलकर मदद की। बताते हैं कि वह दो नंबरी खेमे की ओर से उमेश शर्मा का नाम रखे जाने से आहत हैं।
इंदौर को राजनीति का अखाड़ा माना जाता है, जिसमें कौन कब दांव कर दे कुछ पता नहीं चलता। ऐसा ही खेल इन दिनों इंदौर भाजपा की राजनीति में चल रहा है। नगर अध्यक्ष को लेकर पिछले दिनों रायशुमारी हुई, जिसमें वरिष्ठ नेता, विधायक, मंडल अध्यक्ष और जिला प्रतिनिधियों सहित १०० के करीब जवाबदारों से राय ली गई।
इस पर काफी कहानी खुलकर सामने आ गई। उस हिसाब से घोषणा होने में कोई दिक्कत नहीं थी, लेकिन अचानक दिग्गज नेताओं की अड़ीबाजी की वजह से पेंच फंस गया। पर्दे के पीछे की कहानी ये है कि वरिष्ठ नेता सुमित्रा महाजन व राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय में नगर व जिले के बंटवारा होना था। नगर में ताई ने पहले तो अपने समर्थकों से उमेश शर्मा का नाम रखवाया, इसका विजयवर्गीय ने भी समर्थन कर दिया।
ताई को जब मालूम पड़ा कि विजयवर्गीय की ओर से शर्मा का नाम रखा गया था तो उन्हें झटका लगा। बची कसर उस्ताद कहलाने वाले मौजूदा नगर भाजपा अध्यक्ष गोपी नेमा ने पूरी कर दी। नेमा ने ताई को साध लिया। अब ताई शहर की बात न करते हुए जिला भाजपा पर जोर दे रही हैं।
इधर, नेमा ने वरिष्ठ नेता कृष्णमुरारी मोघे को भी साध लिया ताकि मोघे किसी का नाम नहीं रखें, जिससे मामला ताई और भाई में ही उलझा रहे। हुआ भी यही, दोनों नेताओं की वजह से मामला होल्ड पर चला गया। उन्होंने ये साबित कर दिया कि उस्ताद तो उस्ताद ही रहता है।
अंदर की बात तो ये है…
गोपी के एक ही दांव ने नगर अध्यक्ष के दावेदारों को चारों खाने चित कर दिया। उनकी मंशा है कि वे नगर निगम चुनाव तक बने रहें। इसके पीछे कई योजनाएं छिपी हुई हैं। अध्यक्ष रहते हुए वे तीन नंबर विधानसभा में अपने समर्थकों को उपकृत कर पाएंगे, क्योंकि आज भी उनकी पकड़ क्षेत्र में उतनी ही मजबूत है।
इसके अलावा उनकी निगाह महापौर के पद पर भी है। अध्यक्ष रहते हुए जीतने वाली सीट से वे चुनाव लड़ सकते हैं, जिससे उनके महापौर बनने का रास्ता साफ हो सकता है। अध्यक्ष पद से हटाने के बाद उनकी योजना कमजोर हो जाएगी।
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