पैसों के अभाव में स्कूल न जा पाने वाली10 वर्षीय बच्ची का संदेश जैसे ही सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, महज आधे घंटे में मदद मिलने लगी।
इंदौर. सोशल मीडिया पर मैसेज लिखने से परेशानी दूर हो जाती है और लोग आपकी मदद भी करते है। जब लोगों से ऐसा सुना तो 10 साल की बच्ची ने फेसबुक पर अकाउंट बनाया और लोगों से मदद की अपील की कि मेरी मां फीस नहीं भर पा रही है लेकिन मैं स्कूल जाना चाहती हूं। उसका ये मैसेज सोशल मीडिया पर बहुत वायरल हुआ देश के साथ ही यूगांडा देश से भी लोगों ने उसके लिए मदद के हाथ बढ़ा दिए।
पैसों के अभाव में स्कूल न जा पाने वाली10 वर्षीय बच्ची का संदेश जैसे ही सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, महज आधे घंटे में मदद मिलने लगी। शहर के डॉक्टर, प्रोफेशनल और यूगांडा में रहने वाले शहर के समाजसेवी ने मदद की और संबंधित तक स्कूल फीस पहुंच गई।
दरअसल निजी स्कूल में पढऩे वाली एक छात्रा को स्कूल फीस जमा करानी थी। बच्ची को सिर्फ अपनी मां का सहारा था, लेकिन वह फीस भरने में असमर्थ थी। मां पिछले वर्ष स्कूल की फीस नहीं भर पाई इसलिए बच्ची को इस साल स्कूल में नहीं बैठाया जा रहा था, इस वर्ष की फीस भरने के भी रुपए नहीं थे। जिसके बाद समाजसेवी अमित सिकरवाल को इसकी जानकारी मिली तो सबसे पहले बच्ची का स्कूल शुरू करवाया और फीस जमा करवाने की बात कही।
सोशल मीडिया पर जब बच्ची की स्थिति बताई गई तो महत आधे घंटे में 10 हजार रुपए से अधिक की मदद के लिए लोग आगे आ गए। जिनमें युगांडा में रहने वाले नीरज अग्निहोत्री ने 3500 रुपए, एमवाय अस्प्ताल के पूर्व अधीक्षक डॉ. पीएस ठाकुर ने 2000, समाजसेवी नीरज जारिया ने 1500 रुपए सहित कुछ मीडियाकर्मियों व समाजसेवियों ने भी योगदान दिया। आधे घंटे के भीतर ही इस राशि का ऐलान करने के बाद कल राशि एकत्रित कर स्कूल में जमा करा दी गई। स्कूल संचालक को भी हिदायत दी गई की वे पैसों के अभाव में किसी को शिक्षा से वंचित न करें, जरूरत पड़े तो समाज के बीच में जाए। स्कूल संचालक द्वारा फीस न भरी जाने से बच्ची को घर बैठाने पर कई समाजसेवियों ने आक्रोश भी जताया।