महिला थाने पर 2 हजार से ज्यादा शिकायतें
महिला थाने पर अभी तक दो हजार से ज्यादा शिकायतें आ गई है। अलग अलग माध्यम से आइ शिकायतों पर पुलिस कार्रवाई करती है। शिकायतें 2019 2020 2021
महिला थाने 1613 1210 1410
वरिष्ठ अधिकारियों से 458 267 297
सीएम हेल्पलाइन 82 46 109
डाक से 0 0 368
केस दर्ज
2019- 156
2020- 131
2021-158 काउंसलिंग से जुड़ते है परिवार, जो नहीं मानता उस पर होते है केस
महिला थाने में पारिवारिक विवाद, घरेलू हिंंसा के मामले आते है। पहले दोनों पक्षों को बुलाकर काउंसलिंग की जाती है। काउंसलिंग के बाद अधिकांस लोगों को परिवार का महत्व समझ में आ जाता है और वे विवाद खत्म एक हो जाते है। कम मामलों में बात नहीं बनती तो केस दर्ज किए जाते है।
2019- 156
2020- 131
2021-158 काउंसलिंग से जुड़ते है परिवार, जो नहीं मानता उस पर होते है केस
महिला थाने में पारिवारिक विवाद, घरेलू हिंंसा के मामले आते है। पहले दोनों पक्षों को बुलाकर काउंसलिंग की जाती है। काउंसलिंग के बाद अधिकांस लोगों को परिवार का महत्व समझ में आ जाता है और वे विवाद खत्म एक हो जाते है। कम मामलों में बात नहीं बनती तो केस दर्ज किए जाते है।
पढ़ऩे वाली बालिकाएं ज्यादा परेशान, कड़ी समझाइश से दिलाते है राहत
महिला थाना प्रभारी ज्योति शर्मा के मुताबिक, छात्राएं थाने आने के बजाए पत्र के जरिए अपनी शिकायत रख रही है। शिकायतों में सोशल मीडिया से जुड़े कई मामले शामिल है। अधिकांश मामलों में महिलाएं या बालिकाएं एफआइआर नहीं कराना चाहती। वह चाहती हैं कि अन आवेदक पक्ष को बुलाकर समझाइश कर दी जाए जिससे वह उन्हें भविष्य में किसी तरह की कोई परेशानी खड़ी ना करें। एजुकेशन हब है, बाहर की बालिकाएं भी बहुत अधिक संख्या में यहां पर आकर पढ़ाई कर रहे हैं। स्कूल हो कॉलेज हो या कोचिंग क्लासेस हो उनके साथ कई बार प्रॉब्लम होती है। सोशल मीडिया के अकाउंट से उनके नंबर व अन्य निजी जानकारी हासिल कर लोग परेशान करते है। निजी जानकारी वायरल करने की धमकी देते है, ऐसे मामले में छात्रा की सुरक्षा को ध्यान में रख फोन नंंबर के आधार पर शराररती तत्व को बुलाकर कड़ी समझाइश देकर राहत दिलाने का काम किया जाता है। इसके बाद भी कुछ लोग नहीं मानते तो फिर केस दर्ज करते है।
महिला थाना प्रभारी ज्योति शर्मा के मुताबिक, छात्राएं थाने आने के बजाए पत्र के जरिए अपनी शिकायत रख रही है। शिकायतों में सोशल मीडिया से जुड़े कई मामले शामिल है। अधिकांश मामलों में महिलाएं या बालिकाएं एफआइआर नहीं कराना चाहती। वह चाहती हैं कि अन आवेदक पक्ष को बुलाकर समझाइश कर दी जाए जिससे वह उन्हें भविष्य में किसी तरह की कोई परेशानी खड़ी ना करें। एजुकेशन हब है, बाहर की बालिकाएं भी बहुत अधिक संख्या में यहां पर आकर पढ़ाई कर रहे हैं। स्कूल हो कॉलेज हो या कोचिंग क्लासेस हो उनके साथ कई बार प्रॉब्लम होती है। सोशल मीडिया के अकाउंट से उनके नंबर व अन्य निजी जानकारी हासिल कर लोग परेशान करते है। निजी जानकारी वायरल करने की धमकी देते है, ऐसे मामले में छात्रा की सुरक्षा को ध्यान में रख फोन नंंबर के आधार पर शराररती तत्व को बुलाकर कड़ी समझाइश देकर राहत दिलाने का काम किया जाता है। इसके बाद भी कुछ लोग नहीं मानते तो फिर केस दर्ज करते है।