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फिर लौटा डाक युग, युवतियां थाने आने के बजाए पत्र लिखकर मांग रही मदद

locationइंदौरPublished: Sep 21, 2021 03:37:26 pm

महिला पुलिस को 8 महीने में मिले 368 पत्र

फिर लौटा डाक युग, युवतियां थाने आने के बजाए पत्र लिखकर मांग रही मदद

फिर लौटा डाक युग, युवतियां थाने आने के बजाए पत्र लिखकर मांग रही मदद

प्रमोद मिश्रा

इंदौर । सोशल मीडिया के कारण युवतियों की निजता पर खतरा बन रहा है। आसपास के छोटे शहरों से पढ़ाई के लिए आने वाली युवतियां स्मार्ट फोन के जरिए सोशल मीडिया पर अकाउंट बना लेती है और बदमाश युवक उनकी जानकारी निकालकर परेशान करते है। पर्सनल फोटो हासिल कर एडिट कर बदनाम करते है। कोरोनाकाल में पुलिस के पास जाने से परहेज के कारण युवतियां व महिलाएं डाक के जरिए पत्र लिखकर मदद मांग रही है।
महिला थाने पर हर दिन अच्छा खासा जमावड़ा होता है। पारिवारिक विवाद अथवा दहेज के आरोप लगाने पर पहले पुलिस दोनों पक्षों के लोगों को बुलाकर काउंसलिंग करती हैै। हर दिन 3-4 परिवार के लोगों को बुलाने से भीड़ रहती है। ऐसी स्थिति में 2021 में पहली बार महिलाएं खासकर युवतियां अपने परेशानी डाक विभाग के जरिए पत्र भेजकर पुलिस के सामने रख रही है। पत्र लिखकर परेशानी बताने वालों में अधिकांश युवतियां शामिल है। थाना प्रभारी ज्योति शर्मा के मुताबिक, इस साल अगस्त माह तक पत्र के जरिए 368 शिकायतें आई है। अधिकांंश उन युवतियों से संबंधित है जो आसपास के जिलों से यहां पढ़ाई के लिए आई है।

महिला थाने पर 2 हजार से ज्यादा शिकायतें
महिला थाने पर अभी तक दो हजार से ज्यादा शिकायतें आ गई है। अलग अलग माध्यम से आइ शिकायतों पर पुलिस कार्रवाई करती है।

शिकायतें 2019 2020 2021
महिला थाने 1613 1210 1410
वरिष्ठ अधिकारियों से 458 267 297
सीएम हेल्पलाइन 82 46 109
डाक से 0 0 368
केस दर्ज
2019- 156
2020- 131
2021-158

काउंसलिंग से जुड़ते है परिवार, जो नहीं मानता उस पर होते है केस
महिला थाने में पारिवारिक विवाद, घरेलू हिंंसा के मामले आते है। पहले दोनों पक्षों को बुलाकर काउंसलिंग की जाती है। काउंसलिंग के बाद अधिकांस लोगों को परिवार का महत्व समझ में आ जाता है और वे विवाद खत्म एक हो जाते है। कम मामलों में बात नहीं बनती तो केस दर्ज किए जाते है।
पढ़ऩे वाली बालिकाएं ज्यादा परेशान, कड़ी समझाइश से दिलाते है राहत
महिला थाना प्रभारी ज्योति शर्मा के मुताबिक, छात्राएं थाने आने के बजाए पत्र के जरिए अपनी शिकायत रख रही है। शिकायतों में सोशल मीडिया से जुड़े कई मामले शामिल है। अधिकांश मामलों में महिलाएं या बालिकाएं एफआइआर नहीं कराना चाहती। वह चाहती हैं कि अन आवेदक पक्ष को बुलाकर समझाइश कर दी जाए जिससे वह उन्हें भविष्य में किसी तरह की कोई परेशानी खड़ी ना करें। एजुकेशन हब है, बाहर की बालिकाएं भी बहुत अधिक संख्या में यहां पर आकर पढ़ाई कर रहे हैं। स्कूल हो कॉलेज हो या कोचिंग क्लासेस हो उनके साथ कई बार प्रॉब्लम होती है। सोशल मीडिया के अकाउंट से उनके नंबर व अन्य निजी जानकारी हासिल कर लोग परेशान करते है। निजी जानकारी वायरल करने की धमकी देते है, ऐसे मामले में छात्रा की सुरक्षा को ध्यान में रख फोन नंंबर के आधार पर शराररती तत्व को बुलाकर कड़ी समझाइश देकर राहत दिलाने का काम किया जाता है। इसके बाद भी कुछ लोग नहीं मानते तो फिर केस दर्ज करते है।

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