कोविड के चलते डेढ़ साल से यूनिवर्सिटी की परीक्षाएं ओपन बुक प्रणाली से कराई जा रही है। इस अवधि में ऑनलाइन परीक्षाएं हुईं और कुछ में जनरल प्रमोशन दिए गए। दूसरी लहर के बाद स्थिति सामान्य होने पर 16 दिसंबर से ऑफलाइन परीक्षाओं की घोषणा की गई।
विद्यार्थियों व छात्र संगठनों ने इसका विरोध किया। उनका कहना था कि अब तक ऑनलाइन मोड में पढ़ाई हुई है, इसलिए परीक्षा ऑफलाइन नहीं कराई जानी चाहिए। एनएसयूआइ ने दो बार ज्ञापन दिया। मांग पूरी नहीं हुई तो बुधवार को छात्र नेता करीब 100 विद्यार्थियों के साथ यूनिवर्सिटी पहुंचे। विकास नंदवाना, यश यादव आदि के नृतत्व में उन्होंने कुलपति कैबिन के बाहर रेक्टर प्रो. अशोक शर्मा का घेराव किया। करीब एक घंटे बाद रजिस्ट्रार अनिल शर्मा ने ओपन बुक परीक्षाएं कराने से इनकार कर दिया। डीएसडब्ल्यू प्रो. एलके त्रिपाठी को विद्यार्थियों ने आरजीपीवी का हवाला दिया।
अधिकारियों से चर्चा की
करीब ढाई घंटे तक विद्यार्थी अधिकारियों को घेरकर बैठे रहे। दोपहर ढाई बजे परीक्षा नियंत्रक प्रो. अशेष तिवारी यूनिवर्सिटी आए और अधिकारियों से चर्चा की। शाम करीब चार बजे आगामी सभी परीक्षाएं स्थगित करने की घोषणा कर दी। प्रो. तिवारी ने बताया, परीक्षाओं के प्रारूप पर शासन के निर्देशानुसार निर्णय लिया जाएगा।
इसलिए उग्र हुए छात्र
ओपन बुक प्रणाली से परीक्षाएं कराने का पहला कारण कोविड का डर और दूसरा परीक्षा परिणाम है। ओपन बुक में घर से जवाब लिखने के कारण 95 फीसदी से ज्यादा छात्र पास हो रहे हैं, जबकि ऑफलाइन में 50 फीसदी विद्यार्थी ही पास होते हैं।
शासन के निर्देश पर होगी परीक्षाएं
शासन के आदेशानुसार यूटीडी शैक्षणिक विभागों की परीक्षा का प्रारूप यूनिवर्सिटी प्रबंधन तय कर सकता है। कॉलेजों की परीक्षाओं के लिए अलग से उल्लेख नहीं होने पर यूनिवर्सिटी ने शासन से मार्गदर्शन मांगा है। ओपन बुक की अनुमति नहीं मिली तो फिर ऑफलाइन परीक्षा ही होगी।