प्रभु वेंकटेश नगर भ्रमण पर निकले तो इंद्र देवता ने की अगवानी
- छत्रीबाग वेंकटेश मंदिर में ब्रह्मोत्सव में छोटी रथ यात्रा निकली, ठाकुर की अगवानी व पदरावनी के लिए ललायित दिखे भक्त

इंदौर। रविवार को प्रभु वेंकटेश जैसे ही नगर भ्रमण पर निकले तो इंद्र देवता ने उनकी अगवानी की। रिमझिम बारिश के बीच निकली छोटी रथ यात्रा के बीच क्षेत्र में दीपावली जैसा माहौल बन गया। हर भक्त ठाकुरजी की अगवानी व पदरावनी के लिए लालायित था। पूरा क्षेत्र जयकारों से गूंज उठा।
रविवार को छत्रीबाग स्थित श्री लक्ष्मी वेंकटेश मंदिर से जैसे ही रथ बाहर निकला तो क्षेत्र में दीपावली जैसा माहौल था। घर-घर में दीपकों की कतार के साथ ही आंगन में सुंदर रंगोली सजाई गई थी। आतिशबाजी करते युवाओं की टोली और गोविंदा-गोविंदा के जयकारों से पूरा क्षेत्र गूंज रहा था। छत्रीबाग से छोटी रथयात्र के रूप में भगवान की यात्रा पूरे छत्रीबाग में निकली जिसमे गाजे बाजे के साथ ही ढोल व वाद्य यंत्र के साथ बग्गियों में विराजे संत और नागोरिया पीठाधिपति स्वामी विष्णुप्रपंनाचार्य महाराज भक्तो के बीच आशीर्वाद दे रहे थे साथ ही हर घर के बहार रंगोली बनाकर उस पर स्वामीजी के चरणों का पूजन किया जा रहा था। इतनी तेज बारिश के बाद भी प्रभु की अगवानी में भक्तो का उत्साह कम नही दिखा हर भक्त ठाकुरजी की पदरावणी करने को बेसब्र था। भजन गायक हरिकिशन साबू भजनो का रस पान सभी भक्तों में अंजनी के लाल हनुमान, मीठे रास से भरी राधा रानी लागे जैसे भजनों पर भक्त भी जमकर खूब नृत्य कर रहे थे। पूरे मार्ग पर सभी बारम्बार कपूर आरती व पूजन कर रहे थे। इस अवसर पर प्रभु वेंकटेश का विशेष श्रृंगार में प्रभु ने गरुड़ वाहन पर दर्शन दिए। पूरे मंदिर परिसर में ग्रीन पौधे को लगाकर प्रभु के लिए बगीचा बनाया गया था, वही गादी घर मे रामानुज स्वामीजी के जीवन चरित्र का दर्शन कराया जा रहा है। इसके पूर्व सुबह वेंकटरमन गोविंदा श्रीनिवास गोविन्दा प्रभात फेरी निकली। सुबह रजत कलशों से समूह स्त्रोत पाठ कराकर महाभिषेक किया। आज विशेष रूप से वेंकटेश प्रभु को मक्खन लगाया गया था व हल्दी लगाकर तुलसी माला धारण कराई गई थी। यजमान सत्यनारायण शर्मा परिवार को कलश पूजन कराकर संकल्प कराया। इस अवसर पर महेंद्र नीमा, राम जाखेटिया, काशीराम सोनी, सुरेश डालिया, सत्यनारायण तोतला, राजेश लालावत सहित बड़ी संख्या में भक्त मौजूद थे। सोमवार को सुबह बसंतोसव विशेष उत्सव, दोपहर में १२ बजे तिरुपवाड़ा उत्सव होगा और रात्रि में प्रभु की परिक्रमा गुरुड़ वाहन पर निकलेगी।
सुख की इच्छा करना ही दुख को देना निमंत्रण
अनंत आचार्य ने धर्मसभा में कहा कि जब तक भगवत समर्पण भाव नहीं होगा जीवन की सार्थकता नहीं होगी। हर व्यक्ति लाभ के लिए कार्य करता है। सुख की इच्छा करना ही दुख का सबसे बड़ा कारण है। वस्तु की इच्छा प्रधानता होने से हमारा परमात्मा के प्रति प्रेम झलक नहीं पाता। उन्होंने कहा कि धर्म उसी का सार्थक है जो सेवा कार्यों में जुड़ा हो। व्यंकटेश आचार्य जी ने कहा कि नित्य देवा लयों में दर्शन करने मात्र से मनुष्यों की सारी त्रुटियां दूर हो जाती है। भगवत सेवा में जुटे रहने से मन में शांति आती है। पुण्डरीक स्वामी ने कहा जो धर्म का पालन करता है धर्म उसका पालन करता है।
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