लॉजिस्टिक पार्क के लिए जुलाई 2015 में निजी जमीन अधिग्रहित की थी। उसके बाद भी गुत्थी उलझी हुई है, क्योंकि बीचोबीच 17 एकड़ सरकारी जमीन है। हालांकि तत्कालीन वाणिज्य व उद्योग के प्रमुख सचिव मोहम्मद सुलेमान के हस्तक्षेप पर 10 एकड़ से अधिक जमीन का निराकरण करवा दिया था, लेकिन श्रीराम मंदिर की सर्वे नंबर 214 की 1.125 हेक्टेयर जमीन का मसला नहीं सुलझा।
पिछले दिनों कलेक्टर लोकेश जाटव के प्रयासों से अध्यात्म विभाग के अपर मुख्य सचिव ने सशर्त हरी झंडी दे दी। कहा कि मंदिर देवस्थान कोष के बैंक अकाउंट में भूमि अधिग्रहण की राशि जमा कराई जाए। इस पर कॉनकोर ने सहमति दी। इसके बाद नई कहानी आ गई।
पुजारी अशोक दास बैरागी ने दावा ठोंक दिया कि कलेक्टर को मिलने वाली मुआवजा राशि से हिस्सा उसे भी दिया जाए। भूमि अधिग्रहण कानून की धारा 23 में मुआवजा दिया जाएगा। नियम के हिसाब से मुआवजे की संपूर्ण राशि भूधारक को दी जाएगी। धारा 30 के अनुसार आमंत्रित राशि का बंटवारा ऐसे होगा कि गाइड लाइन के हिसाब से जो पैसा मिलेगा, कलेक्टर रखेंगे। जो अतिरिक्त पैसा मिलेगा वह पुनर्वास व स्थापना का पैसा भूधारक को दिया जाएगा।
पूर्व मुख्यमंत्री की शरण में जा पहुंचा
इसको लेकर पुजारी बैरागी ने पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजयसिंह को भी आवेदन दिया, जिस पर सिंह ने प्रभारी मंत्री बाला बच्चन को मामले की जांच करवाकर पुजारी की मदद करने के लिए लिखा। यहां तक कहा कि प्रकरण में कार्रवाई संभव नहीं हो तो कारण सहित बताएं। इस पर बच्चन के विशेष कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी संजय सिंह ने सिंह के पत्र का हवाला देकर प्रकरण कलेक्टर लोकेश कुमार जाटव के पास भेज दिया, जिसमें कार्रवाई करने को कहा गया।