लोधा कॉलोनी में निगम को करीब 960 मकान बनाना हैं, जिसकी लागत 75 करोड़ रुपए है। इतनी बड़ी राशि खर्च होने पर कोई कंपनी ठेका लेने आगे नहीं आ रही, क्योंकि मकान बनाने के लिए पूरी लागत कंपनी को ही लगाना है। इसके एवज में निगम मकान बनाने के बाद बची जमीन ठेकेदार को दे रहा था, जिसकी कीमत 100 करोड़ रुपए से ज्यादा है। इसका उपयोग कर ठेकेदार कमर्शियल के रूप में भी बेच सकता है।
प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए निगम को लोधा कॉलोनी के पास साढ़े 4 हेक्टेयर सरकारी जमीन मिली है। इसमें से 3 हेक्टेयर पर मकान बनना हैं। शेष डेढ़ हेक्टेयर जमीन को निगम बेचेगा। इससे जो भी पैसा मिलेगा, उसे मकान निर्माण में लगाया जाएगा। निगम को उम्मीद है कि जमीन बेचने पर 100 करोड़ रुपए से ज्यादा आएंगे। इससे 75 करोड़ में मकान भी बन जाएंगे और पैसा भी बच जाएगा।
मकान बनाने के लिए जो सरकारी जमीन मिली है, उसमें 0.2 हेक्टेयर यानी आधा एकड़ जमीन को लेकर उलझन है। खसरे में इस जमीन को प्राइवेट बताया गया है। निगम अफसर मामले को सुलझाने में लगे हैं। इसके बाद निगम को यह जमीन भी मिल जाएगी।
दोनों बस्तियां चार नंबर विधानसभा और महापौर मालिनी गौड़ के विधानसभा क्षेत्र में आती हैं। मकान बनाने के लिए यहां सर्वे हो चुका है। बताया जाता है कि लोगों ने मकान तोडऩे का विरोध किया, लेकिन निगम समझाइश देकर काम कराने में लगा है।
डीआर लोधी, प्रभारी अधीक्षण यंत्री, प्रधानमंत्री आवास योजना